मिली जानकारी के अनुसार राठवा पिछले काफी दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे थे। इससे मई में चुनाव न लड़ने की बात कही थी। राठवा का कहना है कि वो अब बुजुर्ग हो गए हैं और युवाओं को मौका देना चाहते हैं। कहा ये भी जा रहा है कि मोहन सिंह अब अपने बेटे राजेंद्र सिंह राठवा को सत्ता सौंपना चाहते हैं, जो पिछले कुछ समय से राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन कांग्रेस से उनके बेटे को टिकट मिलने की उम्मीद कम थी।
बीते दिनों एक इंटरव्यू में मोहन सिंह राठवा ने कहा था कि वे पिछले 55 सालों से लगातार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अब उनकी भावना है कि गुजरात में नए चेहरे और विशेष रूप से युवा राजनीति में आएं। राठवा ने अब संन्यास का ऐलान कर दिया है और अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नारन राठवा भी अपने बेटे के लिए मैदान में हैं।
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उल्लेखनीय हो कि आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर की राजनीति में कांग्रेस ने सालों साल मोहन सिंह राठवा, नारायण राठवा और सुखराम राठवा की तिकड़ी से खुद को मजबूत बनाए रखा, लेकिन 2022 के चुनाव में राठवा नेताओं की यह तिकड़ी मुख्य मुकाबले में नहीं दिखेगी।
11 बार के विधायक मोहन सिंह राठवा ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुके हैं तो वहीं पूर्व रेल राज्य मंत्री नारायण राठवा वर्तमान में राज्यसभा के सांसद हैं, तो वहीं सुखराम राठवा गुजरात में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष हैं। सुखराम राठवा के चुनाव नहीं लड़ने की चर्चा है। अब राठवा का पार्टी छोड़ना बड़ा झटका माना जा रहा है। अटकलें है कि वो बीजेपी में शामिल होंगे और उनके बेटे को बीजेपी से टिकट मिलेगा।