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नई दिल्ली

एक पैर पर 1 किलोमीटर दूर कूदकर जाती थी बिहार की ये 10 साल की बच्ची, जिला प्रशासन ने लगवाया आर्टिफिशियल पैर

जमुई में 10 साल की मासूम बच्ची एक पैर पर 1 किलोमीटर कूदती हुई स्कूल जाती थी। दो साल पहले एक सड़क हादसे में सीमा को अपना एक पैर गंवाना पड़ा था। जिला प्रशासन की ओर से बच्ची को आर्टिफिशियल (कृत्रिम) पैर लगाए गए और एक तिपहिया साइकिल भी गिफ्ट की गई।

नई दिल्लीMay 27, 2022 / 09:05 pm

Archana Keshri

एक पैर पर 1 किलोमीटर दूर कूदकर जाती थी बिहार की ये 10 साल की बच्ची, जिला प्रशासन ने लगवाया आर्टिफिशियल पैर

एक पैर पर 1 किलोमीटर दूर कूदकर जाती थी बिहार की ये 10 साल की बच्ची, जिला प्रशासन ने लगवाया आर्टिफिशियल पैर

इंसान अगर ठान ले तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। बिहार में रहने वाली दिव्यांग बच्ची सीमा के हौसले की चर्चा हर जगह हो रही है। बिहार के जमुई जिले में सीमा नाम की एक दिव्यांग बच्ची की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने मदद के हाथ उस बच्ची की तरफ बढ़ाए हैं। 10 वर्षीय दिव्‍यांग छात्रा सीमा अब अपने दोनों पैरों से चलकर पढ़ने के लिए स्‍कूल जा सकेगी। जिला प्रशासन ने महज दो दिनों के अंदर सीमा के लिए आर्टिफिशियल पैर की व्‍यवस्‍था करा दी। अब सीमा एक नहीं बल्कि दोनों पैरों के सहारे चलकर स्‍कूल पढ़ने के लिए जा सकेगी।
कहा जाता है मेहनत और दृढ़संकल्प दो ऐसी चीजे हैं जिसका कोई विकल्प नहीं होता है। इसका पालन कर के किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है। ऐसे कई उदाहरण हमारे देश और दुनिया में समय-समय पर देखने को मिलते रहते हैं। तमाम तरह की समस्या के होते हुए भी ऐसे लोग अपने सपनों को पूरा कर ही लेते हैं। ऐसी ही कहानी है बिहार के जमुई में रहने वाली सीमा की। अपने हौसले के कारण लोगों में चर्चा का विषय बन चुकी सीमा जमुई जिले के फतेहपुर गांव में सरकारी स्कूल में पढ़ती है। 10 साल की सीमा कक्षा चौथी की छात्रा है।
दरअसल, दो साल पहले एक सड़क हादसे में सीमा को अपना एक पैर गंवाना पड़ा था। बावजूद इसके सीमा का हौसला कम नहीं हुआ और उसने एक पैर से ही जिंदगी का सफर तय करने का संकल्प लिया। सीमा की एक पैर पर 1 किलोमीटर कूदती हुई स्कूल जाने लगी। ल जाने से लेकर अपना सारा काम बिना किसी सहारे के एक पैर से ही करती है। और सीमा के इस संघर्ष में उसेक गरीब माता-पिता ने भी साथ दिया। बता दें, सीमा अपने माता-पिता के साथ खैरा प्रखंड के नक्सल प्रभावित इलाके के फतेपुर गांव में रहती है।
मा के पिता दूसरे प्रदेश में मजदूरी करते हैं और मां गांव में मजदूरी कर घर चलाती है। सीमा की मां बेबी देवी ने बताया कि उनके 6 बच्चे हैं और सीमा दूसरे नंबर पर है। सीमा की मां बेबी देवी ने बताया, “ईंट भट्ठे पर जाने के दौरान ट्रैक्टर के नीचे आने से उसका पैर कट गया था। उस समय ऐसा लग रहा था कि उनकी बेटी का जीवन पूरी तरह से खत्म हो गया उसे पूरी जिंदगी सहारे की जरूरत पढ़ेगी और आगे चलकर शादी में भी दिक्कत आएगी। बस यही सोच-सोचकर हम अपना जीवन जी रहे थे।”
बेबी देवी ने आगे कहा, “बच्चों को स्कूल जाते देख सीमा को भी पढ़ने की इच्छा हुई तो हमने घर का एक किलो चावल बेचकर सीमा के लिए किताब कॉपी खरीदी और स्कूल में दाखिला कराया। उसके बाद वो रोज स्कूल जाने लगी साथ ही घर के काम में भी हाथ बंटाने लगी।” सीमा की ये कहानी जैसे ही जिला प्रशासन और जिला शिक्षा विभाग तक पहुंची, दोनों मिलकर सीमा की मदद के लिए आगे आए।

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इसके साथ ही जिला प्रशान ने सीमा के लिए आर्टिफिशियल पैर की व्‍यवस्‍था करा दी। आर्टिफिशियल पैर के साथ जिला प्रशासन की टीम सीमा के घर पहुंची। DEO कपिल देव तिवारी की मौजूदगी में डॉक्टरों की एक टीम ने सीमा के कृत्रिम पैर लगाए गए। अब सीमा दोनों पैरों के जरिए स्कूल जा सकेगी। इस मौके पर सीमा से मिलने के लिए जमुई से सांसद चिराग पासवान भी पहुंचे। उन्होंने बच्ची के हौंसले की तारीफ की।

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आर्टिफिशियल पैर लगाने पहुंचे अधिकारी ने बताया कि सीमा और उसके परिवार वालों को बाकी और भी लाभ दिया जा रहा है। आर्टिफिशियल पैर लगने के बाद सीमा ने बताया कि अब उसे अच्छा लग रहा है। मौके पर ही सीमा को चलवाकर भी देखा गया, ताकि यदि उसे कोई दिक्‍कत हो तो उसमें तत्‍काल सुधार किया जा सके। आर्टिफिशियल पैर पहनने के बाद सीमा ने वहां मौजूद अधिकारियों को चलकर दिखाया।
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तो वहीं जमुई के जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि सीमा का मामला संज्ञान में आने के बाद जिला प्रशासन ने उसे मदद पहुंचाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। जल्द से जल्द सीमा को आर्टिफिशियल पैर देने का प्रयास था जो पूरा हो गया। बुधवार को शिक्षा विभाग की टीम ने सीमा के पैर का मेज़रमेंट किया था और फिर शुक्रवार को आर्टिफिशियल पैर दे दिया गया।

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