1. किडनी के होने से शरीर से गंद तथा पेशाब बाहर निकलते हैं। जब ऐसा नहीं हो पाता तो किडनी में भरे हुए गंद के कारण आपके हाथ, पैर, टखना एवं चेहरा सूज जाता है।
2. इस अवस्था में मूत्र का रंग गाढ़ा हो जाता है या फिर मूत्र की मात्रा या तो बढ़ जाती है या कम हो जाती है। इसके अलावा बार-बार मूत्र होने का एहसास होता है मगर करने पर नहीं होता है। इसके अन्य लक्षणों में मूत्र त्याग करने के वक्त दर्द, दबाव और जलन जैसा अनुभव होता हो।
3. जब मूत्र में रक्त आने लगे या फिर झाग जैसा मूत्र आए तो बिना सोचे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह किडनी के खराब होने का निश्चित ही संकेत होता है।
4. शरीर में कमजोरी, थकाम या हार्मोन का स्तर गिर जाए तो यह भी किडनी के बीमारी के लक्षण माने गए हैं।
5. ऑक्सीजन का कम होना और जिसके कारण चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आए तो किडनी के बीमारी के लक्षण है।
6. यदि गर्मी में भी ठंडक महसूस हो तथा आपको बुखार हो तो यह किडनी खराब होने के लक्षण को दर्शाता है।
7. किडनी के खराब होने पर शरीर में विषाक्त पदार्थों जम जाते है, जिससे त्वचा में रैशेज और खुजली होने लगती है। हालांकि यह लक्षण कई तरह की बीमारियों में भी पाया जाता है।
8. बहुत कम लोग जातने हैं कि किडनी की बीमारी के कारण खून में युरिया का स्तर बढ़ जाता है। यह युरिया अमोनिया के रूप में उत्पन होता है। जिसके कारण मुंह से बदबू निकलने लगता है और जीभ का स्वाद भी बिगड़ जाता है।
किडनी की बीमारी के लिए सरकारी अस्पताल की डायलिसिस यूनिट में सामान्य वर्ग के मरीजों को प्रति डायलिसिस पर 560 रुपए खर्च होते हैं। जबकि बीपीएल के रोगियों को निशुल्क सुविधा मिल रही है। नए मरीजों में दोनों ही वर्ग के मरीज शामिल हैं, लेकिन उन्हें प्राइवेट में एक बार की डायलिसिस कराने के लिए लगभग 2500 रुपए देना पड़ रहे हैं। मरीजों के परिजनों ने कहा कि आसपास के जिलों के सरकारी अस्पतालों में मशीनें ज्यादा होने से वहां के मरीजों को डायलिसिस का लाभ मिल रहा है, किंतु यहां के मरीजों को वंचित रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पैसे नहीं रहने पर कर्जालेकर डायलिसिस करवाना पड़ती है।
जिला अस्पताल की यूनिट में दो मशीनें होने से केवल 12 मरीजों की ही डायलिसिस हो पा रही है। प्रतिदिन सुबह से दोपहर तक चार रोगियों का खून फिल्टर होता है।उक्त मरीजों में से केवल चार मरीज सामान्य तथा बाकी के 8 बीपीएल धारक हैं। अधिकांश रोगियों को हफ्ते में दो और तीन दिन डायलिसिस करवाना पड़ती है।तब जाकर वे ठीक रह पाते हैं। गरीबी के साथ-साथ मरीजों को बीमारी से परेशान होना पड़ रहा है।
हरदा के अलावा खिरकिया, टिमरनी, सिराली, रहटगांव, हंडिया के नए 32 मरीजों ने डायलिसिस यूनिट में पंजीयन करवाया है। किंतु उन्हें यहां की मशीनों का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि यूनिट में शासन द्वारा कंपनी से अनुबंध करने पर उन्होंने दो ही मशीनें लगाई हैं। मशीनों की कमी वजह से नए मरीजों को अस्पताल में जहां इलाज के लिए तरसना पड़ रहा है। वहीं जान बचाने के लिए उन्हें इंदौर, भोपाल, इटारसी, होशंगाबाद, खंडवा जाना पड़ रहा है, जिससे उन्हें पैसे के साथ-साथ काफी परेशानियां हो रही हैं।
इनका कहना है
डायलिसिस यूनिट में 44 किडनी मरीजों ने पंजीयन कराया है। दो मशीनें होने से 12 रोगियों की ही डायलिसिस हो रही है। शेष मरीजों को सुविधा देने के लिए शासन से दो मशीनों की मांग की गई है।देखना है कब आती हैं मशीनें।
डॉ. एसके सेंगर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, हरदा
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नगर पालिका की बैठक में डायलिसिस मशीन लेने के लिए प्रस्ताव पास किया गया था, लेकिन नपा मशीन क्यों खरीदेगी। यह काम जिला प्रशासन का है। जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं का संचालन उनके माध्यम से ही होता है। उनके द्वारा ही मशीन की व्यवस्था की जाना चाहिए।
दिनेश मिश्रा, सीएमओ, नगर पालिका, हरदा