ये है पूरा मामला
बिहार के मुजफ्फरपुर ( Muzaffarpur) में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (acute encephalitis syndrome) की वजह से अब तक कई बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। मुजफ्फरपुर के जिन दो अस्पतालों से बच्चों की मौत की खबरें आई हैं, वो इलाके लीची के बागों के लिए बहुत प्रसिद्द हैं। यहां बड़े पैमाने पर लीची का उत्पादन होता है और इसके बाद इसे देश-विदेश में पहुंचाया जाता है।क्या कहते हैं शोधकर्ता
बिहार के लोकल इलाकों में इस बीमारी (acute encephalitis syndrome) को चमकी बुखार कहा जाता है । साल 2014 में भी इस बुखार के करीब 150 मामले सामने आए थे। दिमाग में होने वाले इस घातक बुखार पर साल 2015 में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने भी खोज की थी। शोध में पता लगा कि इस जहरीले पदार्थ का संबंध किसी फल से हो सकता है। पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार अधपकी लीची (Lychee) को भी इंसान के लिए खतरनाक बताया गया था। लीची में पाए जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है।इसलिए खतरनाक है लीची
स्वादिष्ट और मीठी लीची किसी की मौत का कारण बन सकती है, इस तर्क पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है । लेकिन लीची खाने में अगर कुछ बातों का विशेष ध्यान न रखा जाए तो यह खतरनाक हो सकती है। खाली पेट और कच्ची लीची खाने से इंसेफलाइटिस का खतरा काफी बढ़ जाता है। यदि आप खाली पेट लीची खाकर सो जाएं तो भी यह खतरनाक साबित हो सकती है। लीची से निकलने वाला जहरीला पदार्थ शरीर में शुगर की औसत मात्रा को कम कर देता है। इसके अलावा कुपोषित बच्चों को भी लीची (Lychee) नहीं खानी चाहिए।क्या है इलाज
चमकी बुखार (acute encephalitis syndrome) से पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें। बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें। रात को खाना खाने के बाद हल्का-फुल्का मीठा जरूर दें। सिविल सर्जन एसपी सिंह के मुताबिक चमकी ग्रस्त बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी देखी जा रही है। फिलहाल जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। यहां चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बाद तरल पदार्थ देते रहें ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो।