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नागौर

 अटकी राशि के रिफण्ड ऑर्डर के लिए एफआईआर की बाध्यता खत्म

परिवादी को वापस आसानी से नहीं मिल रही थी। एक लाख से कम राशि के लिए एफआईआर थी जरूरी, सीजेएम के एक ऑर्डर से बहुतों को मिली राहत

नागौरSep 02, 2024 / 09:37 pm

Sandeep Pandey

साइबर ठगी में सैकड़ों लोगों के करोड़ों रुपए अटकने का मामला

परिवाद के आधार पर ही सीजेएम जारी कर देंगे रिफण्ड ऑर्डर

नागौर. एफआईआर की मुश्किल खत्म हो गई है, अब परिवाद पर ही साइबर ठगी की अटकी रकम पीडि़त को आसानी से मिल सकेगी। हाल ही में नागौर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के एक फैसले से सैकड़ों परिवादियों के अटके करोड़ों रुपए आसानी से उनके खाते में वापस आ सकेंगे। अकेले कोतवाली थाने में ही ऐसे मामलों की संख्या करीब सौ बताई जाती है। ऐसे में नागौर ( डीडवाना-कुचामन) जिलेभर में होल्ड रकम करोड़ों में है।
सूत्रों के अनुसार एक लाख से कम की साइबर ठगी की एफआईआर दर्ज नहीं होती। तुरंत शिकायत पर पुलिस कार्रवाई के दौरान साइबर ठगों के खातों में ट्रांसफर राशि होल्ड करवा देती है। असल में यह राशि दो-चार नहीं कई महीनों तक होल्ड ही रहती थी। परिवादी अपनी रकम लेने के लिए परेशान रहते थे यानी रकम साइबर ठगों के पास भी नहीं पहुंच पाती ना ही परिवादी को आसानी से मिल पाती थी। वो इसलिए कि बैंक इसके लिए कोर्ट का रिफण्ड ऑर्डर मांंगते थे और वहां से बिना एफआईआर ये मिलता नहीं था। गिने-चुने मामलों में पुलिस के प्रयास से होल्ड रकम परिवादी को मिल पाती थी।
नागौर की साइबर पुलिस ने पिछले कई महीनों में बहुत से मामलों में परिवादी की राशि होल्ड करवाई। कोतवाली साइबर एक्सपर्ट राकेश सांगवा समेत कई ने शिकायत पर तुरंत कार्रवाई कर परिवादी को यह राहत दिलवा दी कि उनकी रकम ठगों के पास नहीं जा पाई। अब राशि रिफण्ड का मामला इसलिए अटक जाता था कि बैंक होल्ड राशि को परिवादी को आवंटित करने से पहले कोर्ट से रिफण्ड ऑर्डर लाने को कहती थी। ऐसे में परिवादी के समक्ष मुश्किल खड़ी हो जाती थी। वो इसलिए कि पुलिस परिवाद तो दर्ज कर लेती थी पर एफआईआर नहीं दर्ज करती थी। ऐसे में बैंक से रिफण्ड ऑर्डर मिले तो मिले कैसे।
विनीता संबंधी फैसले ने दी बहुतों को राहत…

सूत्र बताते हैं कि विनीता गोदारा की करीब 19 हजार रुपए की राशि इसी तरह पिछले साल नवम्बर में होल्ड हो गई थी। कुछ समय कवायद के बाद विनीता ने एडवोकेट पवन काला के जरिए सीजेएम के समक्ष इसके लिए प्रार्थना-पत्र दिया। एडवोकेट काला ने हिमाचल के शिमला कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि बिना एफआईआर के रिफण्ड ऑर्डर जारी हों। एडवोकेट काला ने बताया कि इस ऑर्डर का मतलब साफ था कि परिवाद पर भी रिफण्ड ऑर्डर किए जा सकते हैं, जो अब तक नहीं हो रहे थे। यह आदेश नागौर (डीडवाना-कुचामन)जिलेभर के सैकड़ों लोगों को उनके अटके करोड़ों रुपए की वापसी के लिए सुगम राह बनी है।
एसपी ने दिए निर्देश, अब युद्ध स्तर पर काम

सूत्रों का कहना है कि इस ऑर्डर के बाद एडवोकेट काला ने एसपी नारायण टोगस को पीडि़तों के हित में इस बड़े फैसले की जानकारी दी। साथ ही सभी थाना/साइबर थाना स्थित ऐसे मामलों में रिफण्ड ऑर्डर की अतिशीघ्र कार्रवाई करने को कहा। इस पर एसपी ने सभी थाना प्रभारियों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए। कोतवाली में साइबर एक्सपर्ट राकेश सांगवा, साइबर थाना के माधाराम काला, कुचेरा थाने के रामप्रेम बिसु, भावण्डा थाने के रामदेव सारण, रोल के अखाराम भांभू, सदर थाना के हड़मान फिड़ौदा समेत अन्य ने अपने-अपने परिवादियों को इस बाबत जानकारी देते हुए कार्रवाई के लिए सचेत किया।
इनका कहना है

पहले एफआईआर की बाध्यता के चलते रिफण्ड ऑर्डर नहीं हो पा रहे थे। इस कारण परिवादी परेशान थे, अपना ही पैसा खुद के खाते में नहीं आ पा रहा था। इस ऑर्डर में अब परिवाद के आधार पर सीजेएम के समक्ष प्रार्थना-पत्र देने के बाद रिफण्ड ऑर्डर मिल जाएगा। सैकड़ों लोगों के अटके करोड़ों रुपए उनको आसानी से मिल जाएंगे।
-पवन काला, एडवोकेट नागौर

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विनीता गोदारा, सुगन सिंह समेत कुछ के रिफण्ड ऑर्डर हुए हैं। इनको संबंधित बैंक तक पहुंचा दिया है। जल्द ही राशि इनको वापस मिल जाएगी।

-राकेश सांगवा, साइबर एक्सपर्ट कोतवाली, नागौर।

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