हर साल उद्घाटन करने के बाद पशुपालन विभाग के भरोसे मेला छोडकऱ अधिकारी चले जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। यहां पर दुकानों एवं पशु पालकों के लिए माकूल प्रबन्ध करने के साथ ही निगरानी के लिए प्रशासनिक टीम भी होनी चाहिए। यह टीम मेला पर नजर रखने के साथ ही इसमें मेला के स्वरूप को नए कलेवर में बसाने में मदद भी करे, तभी बात बनेगी।
शोभा राटी, शहरवासी
पशु मेला में महिलाओं एवं अन्य सभी उम्र वर्ग के लोगों को देखकर दुकानें भी लगवानी चाहिए। ताकि बाहर से आने वाले पशुपालकों के साथ ही स्थानीय लोग भी मेला में आए तो खरीदारी करने में दिलचस्पी लें। इसके लिए पशुओं को एक सिरे में रखकर मैदान में पशु मेला लगने की अवधि तक बाजार भी बसाना चाहिए।
कृष्णा बजाज, शहरवासी
पशु पालन से जुड़े नए तकनीकों और उन्नत प्रणालियों का आदान-प्रदान करना होगा। ताकि ताकि पशुपालक समझें कैसे उनके पशुओं की देखभाल में सुधार किया जा सकता है। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए लोगों को रोजगार समर्थन प्रदान करना होगा। जिससे यह समुदाय मजबूत हो सकता है।
मंजू सोनी, शहरवासी
सरकार को पशु मेला में क्रय होने वाले पशुओं के परिवहन के लिए रेलवे की सुविधा भी अनिवार्य रूप से उपलब्ध करानी होगी। प्राइवेट गाडिय़ों से परिवहन करने की स्थिति में असुविधा के साथ ही पैसा भी ज्यादा लग जाता है। पशुपालकों को गुड्स ट्रेन की सुविधा मिलेगी तो निश्चित रूप से रामदेव पशु मेला का क्रेज बढ़ेगा।
बसंती राठी, शहरवासी