उस पत्र में इसका भी उल्लेख किया गया है। सूत्रों के अनुसार जेएलएन अस्पताल से एमसीएच विंग को पुराना अस्पताल में शिफ्ट किए करीब सवा दो महीने हो गए। प्रसव की संख्या बढ़ी पर अव्यवस्था/असुविधा अब भी बरकरार है। ना पानी की पूरी तरह सप्लाई है ना ही साफ-सफाई का पूरा इंतजाम। पुरानी पाइप लाइन से ही सप्लाई रखी गई है, यहां तक कि पानी की टंकियां तक नहीं बढ़ाई गई। पानी की खपत चौगुनी हो गई पर जमा पानी का पात्र/जगह पहले की जितनी है। आलम यह है कि पानी बार-बार खत्म हो जाता है, टैंकर मंगाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों की परेशानी को तो सब समझ ही सकते हैं। यही नहीं पाइप के अलावा लगाई जाने वाली अन्य सामग्री उपयुक्त रही या नहीं, इसका भी कुछ पता नहीं।
सूत्र बताते हैं कि इसी महीने की शुरुआत में एसएनसीयू ू (सिंक एंड न्यू बॉर्न केयर यूनिट) में अचानक धुआं उठने लगा और कुछ उपकरण फुंक गए। वार्ड में भगदड़ मच गई और बच्चों को अन्यत्र ले जाया गया। इसके पीछे शॉर्ट सर्किट था या अन्य कोई वजह, इसकी जानकारी नहीं मिली। यह जरूर है कि यह हादसा बड़ा रूप ले सकता है। कुछ डॉक्टर यह भी कह रहे हैं कि वायरिंग समेत इन उपकरण को लगाने में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई। इसके चलते यह हुआ। इस घटना को इस कदर छिपाया गया कि अस्पताल के ही कई डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ को इसकी जानकारी तक नहीं मिल पाई। आग बुझाने तक का इंतजाम यहां नहीं है जो सबसे बड़ी भूल बताई जाती है।
ठेकेदार को नोटिस, जवाब भी नहीं काम भी नहीं सूत्र बताते हैं कि पुराने अस्पताल में एमसीएच विंग को शिफ्ट करने से पहले बड़े स्तर पर काम-काज हुआ। एसएनसीयू जैसे हादसे फिर कभी भी हो सकते हैं। इसी कामकाज को लेकर जेएलएन पीएमओ डॉ सुनिता आर्य ने ठेकेदार को गत दो सितम्बर को नोटिस दिया। बावजूद इसके ठेकेदार ने ना तो इसका कोई जवाब दिया ना ही वो कोई कार्य कर रहा है। कलक्टर को भेजे पत्र में डॉ आर्य ने बताया कि यहां कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं है। इस तरह की समस्याओं से राहत दिलाई जाए, बिजली संबंधी कार्य के लिए एक तकनीकी कमेटी का गठन कर बिजली संबंधी काम की समीक्षा हो।
समय पर आना-जाना कुछ को ही रहा याद जेएलएन अस्पताल की एमसीएच विंग में तो बॉयोमेट्रिक सिस्टम था। पुराने अस्पताल में अभी तक इसको लगाने की किसी को याद ही नहीं रही। आलम वही पुराना है, कोई आ गया तो ठीक नहीं आया तो ठीक। कौन कब आ रहा है, कब जा रहा है, इस को पाबंद करने वाली बॉयोमेट्रिक हाजिरी की टेंशन जो खत्म हो गई है।
इनका कहना पुराना अस्पताल (एमसीएच विंग) को लेकर ठेकेदार को नोटिस दिया था, अभी तक जवाब भी नहीं मिला ना ही कार्य कर रहा। यहां की खामियों के बारे में कलक्टर को जानकारी देते हुए पत्र भेजा है।
-डॉ सुनीता आर्य, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर। ००००००००००००००००००००००००००० आग नहीं लगी, धुआं उठा था। कुछ उपकरण खराब हुए थे। कई दिन हो गए। किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। -मोहम्मद शकील, सीनियर नर्सिंग अफसर, एसएनसीयू वार्ड पुराना अस्पताल