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नागौर

कृषि विभाग की सबसे बड़ी समस्या बनी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, बीमा कम्पनियां क्लेम देने में कर रही आनाकानी

16वीं विधानसभा के पहले सत्र में 14 विधायकों ने लगाए सवाल तो दूसरे सत्र में 30 विधायकों ने सवाल लगाकर मांगी जानकारी, फसल खराबे का क्लेम देने में बीमा कम्पनियां कर रही आनाकानी, खराबे के बावजूद क्लेम अटकाने के लिए कम्पनियां लगा रही तरह-तरह की आपत्तियां

नागौरDec 31, 2024 / 10:57 am

shyam choudhary

नागौर. बीमा कम्पनियों की मनमानी एवं हठधर्मिता के चलते फसल खराबा होने के बावजूद किसानों को न तो समय पर क्लेम दिया जाता है और न ही बीमा क्लेम की जानकारी। जिलों में हालात यह है कि रबी और खरीफ फसलों का बीमा होने के बावजूद किसान फसल खराबे का क्लेम लेने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, यही वजह है कि 16वीं विधानसभा के दोनों सत्रों में कृषि विभाग से जुड़े कुल 250 प्रश्न लगाए गए, जिनमें से 60 प्रश्न केवल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े हैं। ये प्रश्न लगाने वाले विधायकों की संख्या 40 से अधिक है और ज्यादातर प्रश्नों में बीमा कम्पनी के खिलाफ दर्ज शिकायत, बीमा क्लेम नहीं देने व कम्पनियों की ओर से लगाई जाने वाली आपत्तियों को लेकर पूछा गया है। विधायकों की ओर से पूछे गए प्रश्नों से यह साफ जाहिर हो रहा है कि बीमा कम्पनियां किसानों एवं केन्द्र व राज्य सरकार से मिलने वाले प्रीमियम की तुलना में क्लेम काफी कम देती है और अपना खजाना भर रही हैं।
विभाग पर बढ़ा अतिरिक्त भार

बीमा क्लेम बीमा कम्पनियां अटका रही हैं, लेकिन इसका खमियाजा कृषि विभाग को उठाना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों को कहना है कि कार्यालय में उनका आधा समय तो बीमा योजना से जुड़े प्रकरणों की सुनवाई में ही चला जाता है। विभाग को नोडल बना रखा है, लेकिन मनमानी कम्पनी की चलती है।
इन विधायकों ने लगाए प्रश्न

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर 16वीं विधानसभा के पहले सत्र में 14 विधायकों ने कुल 16 प्रश्न तथा दूसरे सत्र में 30 विधायकों की ओर से कुल 44 प्रश्न लगाए गए हैं। दूसरे सत्र में बीमा योजना को लेकर प्रश्न लगाने वाले विधायकों में चेतन पटेल कोलाना, मनोज कुमार, गोरधन, डॉ. जसवन्त सिंह यादव, गोविन्द प्रसाद, चुन्नीलाल सी.एल. प्रेमी बैरवा, घनश्याम, भीमराज भाटी, रामसहाय वर्मा, कालूराम, अंशुमानसिंह भाटी, छोटूसिंह, हमीरसिंह भायल, लालाराम बैरवा, बहादुर सिंह, अर्जुनलाल, विकास चौधरी, हरीश चौधरी, डूंगरराम गेदर, सुशीला रामेश्वर डूडी, शत्रुघन गौतम, हरलाल सहारण, थावरचन्द, प्रताप पुरी, सुरेश गुर्जर, अभिमन्यु, रामस्वरूप लाम्?बा, सुरेन्द्र सिंह राठौड़, गोविन्द सिंह डोटासरा व अमित चाचाण शामिल हैं। इसी प्रकार पहले सत्र में प्रश्न लगाने वाले विधायकों में गोविन्द प्रसाद, हनुमान बेनीवाल, लक्ष्मण राम, कालीचरण सराफ, अजय सिंह, गोपीचन्द मीणा, भैराराम चौधरी, संजीव कुमार, विकास चौधरी, मनोज कुमार, डॉ. सुभाष गर्ग, हरलाल सहारण, दीप्ति किरण माहेश्वरी व छगनसिंह राजपुरोहित शामिल हैं।
हर एक-दो साल में बदलती है कम्पनी, किसान कहां जाएं

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सरकार हर एक-दो साल बाद बीमा कम्पनी को बदल देती है। इससे किसानों को क्लेम लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई किसान तो वंचित ही रहते हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि कम्पनियां बीमा क्लेम करीब एक साल बाद जारी करती है। तब तक वापस अगले साल का बीमा होने लग जाता है, ऐसे में यदि उस जिले की बीमा कम्पनी बदल गई तो संबंधित कम्पनी का कोई भी प्रतिनिधि जिले में नहीं रहता है।
किसानों का प्रीमियम हाथों-हाथ, क्लेम देने में महीनों लगा रहे

खरीफ हो या रबी, दोनों ही सीजन में किसानों को फसल बीमा कराने के लिए निश्चित तिथि दी जाती है। आमतौर पर खरीफ में 31 जुलाई तक और रबी में 31 दिसम्बर तक बीमा किया जाता है। यानी इन तिथियों तक यदि किसान का प्रीमियम कम्पनी के खाते में जमा होगा तो ही बीमा किया जाएगा। लेकिन जब क्लेम देने की बात आती है तो कम्पनियां एक से दो साल तक समय लगा देती है। कई प्रकरण तो ऐसे हैं, जिनमें तीन-चार साल बाद भी किसान चक्कर काट रहे हैं।
2020 से नहीं मिला क्लेम

मेरे खेत में वर्ष 2020 में अतिवृष्टि से फसल खराबा हुआ था, लेकिन बीमा कम्पनी ने अब तक क्लेम नहीं दिया है, जबकि मेरे पड़ौसी किसानों को क्लेम मिल चुका है।
– ओमप्रकाश जाजड़ा, किसान, सिणोद

बीमा कम्पनियों की मनमानी

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा कम्पनियों की पूरी मनमानी रहती है। फसल खराबे के बावजूद किसानों को क्लेम देने की बजाए आपत्ति लगा दी जाती है। कई बार सरकारी अधिकारी और कर्मचारी किसान के पक्ष में रिपोर्ट देते हैं, फिर भी क्लेम जारी नहीं किया जाता।
– अशोक जांगू, पूर्व सदस्य, जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति, पीएमएफबीवाई, नागौर

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