पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2021 के पहले विभाग की ओर से पिछले कई सालों से केवल होलस्टियन एवं जर्सी का ही कृतिम गर्भाधान किया जाता था। इसकी डिमांड भी पशु पालकों की ओर से ज्यादा रही है। इसकी वजह से नागौर ही नहीं, बल्कि प्रदेश में भी संकर नस्ल के गोवंशों की संख्या ज्यादा बढ़ चुकी है। अब वर्ष 2021 से ही देशी नस्ल के गोवंश का कृतिम गर्भाधान कार्यक्रम शुरू किया गया है। पूरे तीन साल के दौरान कुल कृतिम गर्भाधान की संख्या 10798 ही रही है। इससे स्थिति का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है। जबकि अधिकारियों का कहना है कि अभी केवल तीन साल हुए हुए हैं देशी गोवंश के उन्नत नस्ल के कृतिम गर्भाधान कार्यक्रम शुरू हुए। इसलिए अभी ज्यादा आंकड़े तो नहीं बढ़े हैं, लेकिन लगातार कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका सुखद परिणाम भी नजर आने लगेगा।
देशी दूध की गुणवत्ता बेहतर
देसी गाय के दूध में प्रोलीन होता है। स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद होता है। इसमें विटामिन डी3, व विटामिन ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। देसी गाय के दूध में ही रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से बचाने के तत्व पाए जाते हैं। इसमें साहिवाल, गिर, थारपारकर आदि सर्वाधिक बेहतर मानी जाती हैं।
पशुपालक बोले
सरकार को देशी गोवंश नस्ल संवर्धन के लिए और ज्यादा प्रयास करने चाहिए। इसमें लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसी योजनाएं चलाई जानी चाहिए कि इसे पालने के लिए पालक प्रेरित हो सकें।
रामावतार, पशुपालक
देशी गोवशों का दूध वास्तव में बेहतर गुणवत्ता का हेाता है। इसके बाद भी इनकी संख्या नहीं बढ़ रही है। सरकार को प्रत्येक देशी गायों के पालन के लिए सब्सिडी की बेहतर योजनाओं का संचालन करना चाहिए। ताकि इसे बल मिले।
सहदेव चौधरी, पशु पालक
इनका कहना है…
राष्टीय पशु कृतिम गर्भाधान के तहत देशी गोवंशों के नस्लीय संवर्धन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पहले से स्थिति बेहतर हुई है। विभाग की ओर से अब देशी गोवंश के उन्नत नस्ल के गोवंश सीमेन का ही कृतिम गर्भाधान भी किया जाता है। इसके परिणाम निश्चित रूप से बेहतर आएंगे।
डॉ. अयूब मोहम्मद वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी पशुपालन नागौर