नेशनल अचीवमेंट सर्वे परीक्षा के लिए जिले में 172 परीक्षा केन्द्र बनाए गए। इनमें नागौर ब्लॉक में सर्वाधिक 17 परीक्षा केन्द्रों पर 378 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। इसके बाद ब्लॉक खींवसर में 18 परीक्षा केन्द्रों पर 348, कुचामन में 13 परीक्षा केन्द्रों पर 341 व मकराना में 14 परीक्षा केन्द्रों पर 341 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी, जबकि मौलासर ब्लॉक में सबसे कम 7 परीक्षा केन्द्रों पर 105 व मूण्डवा 9 परीक्षा केन्द्रों पर 174 विद्यार्थियों ने भाग लिया। परीक्षा के दौरान विशेष बात यह मिली कि नागौर जिला मुख्यालय पर एक भी स्कूल को परीक्षा केन्द्र नहीं बनाया गया। जबकि अन्य ब्लॉक मुख्यालयों पर एक-दो स्कूलों को परीक्षा केन्द्र बनाया गया।
जिले भर में सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक 172 परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा आयोजित की गई परीक्षा में कक्षा तीसरी व पांचवी में हिन्दी, गणित एवं पर्यावरण की परीक्षा हुई। आठवीं कक्षा में हिन्दी, गणित, विज्ञान व सामाजिक अध्ययन की परीक्षा हुई। प्रत्येक विषय से 15-15 प्रश्न पूछे गए। प्रश्नपत्र के उत्तर ओएमआर शीट में टिक का निशान लगाकर दिए गए। परीक्षा के लिए जिले में करीब 250 से 300 शिक्षक फील्ड इन्वेस्टिगेटर के रूप में लगाए गए। परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को देखकर बच्चों को कुछ समझ नहीं आया। बच्चों का शैक्षिक स्तर प्रश्नपत्र से कही ज्यादा कम था। कई सवाल तो ऐसे थे कि दसवीं के छात्र का भी सिर चकरा जाए। जानकारों का कहना है कि परीक्षा में फील्ड इन्वेस्टिगेटरों ने बच्चों को प्रश्नपत्रों के उत्तर बताए। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस परीक्षा के आधार पर राज्यों व जिलों के शिक्षा के स्तर का आंकलन कैसे हो सकता है।