ट्रैक्टर खरीद में पूरे एशिया में ‘नागौरी किसान’ फेमस, पुराने को नए जैसा बनाने का हुनर रखते है यहां के मिस्त्री
Rajasthan News : औजार नगरी के रूप में विख्यात नागौर अब ट्रैक्टरों की खरीद के साथ कृषि यंत्र बनाने में भी अपनी छाप छोड़ने लगा है। यहां के किसान देश ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में ट्रैक्टर खरीद में अग्रणी हैं।
Nagaur News : औजार नगरी के रूप में विख्यात नागौर अब ट्रैक्टरों की खरीद के साथ कृषि यंत्र बनाने में भी अपनी छाप छोड़ने लगा है। यहां के किसान देश ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में ट्रैक्टर खरीद में अग्रणी हैं। हालांकि जिले में सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत भू-जल व बरसाती पानी है फिर भी यहां के किसान समृद्धि की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार नागौर का ट्रैक्टर बाजार एशिया के सबसे बड़े ट्रैक्टर बाजारों में से एक माना जाता है। यहां हर प्रकार के ट्रैक्टर उपलब्ध हैं, चाहे वे नए हों या पुराने। यहां का बाजार किसानों के लिए प्रमुख केंद्र है वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों की खरीद फरोत करते हैं। इस क्षेत्र में किसानों के लिए ट्रैक्टर केवल कृषि उपकरण नहीं है, बल्कि उनकी पहचान का एक हिस्सा है।
यहां के ट्रैक्टर चालक भी इतने निपुण है कि देशभर में जब कोई जोखिम भरा कार्य होता है तो नागौर के चालक पर भरोसा जताया जाता है। नागौर के कुशल मिस्त्री पुराने ट्रैक्टर की रिपेयरिंग व रंग रोगन इतनी कुशलता से करते हैं कि ट्रेक्टर नया नजर आने लगता है। यहां के रंग की विशिष्टता के चलते जयपुर एयरपोर्ट से रंग करवाने के लिए ट्रैक्टर नागौर लाया गया था। वहीं ट्रैक्टर के इंजन से लेकर गियर बॉक्स तक का काम यहां के मिस्त्री आसानी से कर देते हैं।
प्रसिद्ध है भडाणा व डेगाना की ट्रैक्टर ट्रॉली
जिले के मूण्डवा व कुचेरा की तैया, हळ, कल्टीवेटर व हेरा प्रसिद्ध है, वहीं भडाणा व डेगाना की ट्रैक्टर ट्रॉली व टेंकर विशेष पहचान रखते हैं। खजवाना का फर्मा व दवाई स्प्रे मशीन की मांग बढ़ी है। इन कृषि यंत्रों की विशेषता के चलते दूसरे जिलों के अलावा पंजाब व हरियाणा के किसान भी कृषि उपकरण खरीदने नागौर आते हैं। किसानों को उपकरण खरीदने के लिए कई बार पहले ऑर्डर देना पड़ता है।
पुराने ट्रैक्टर की खरीद-फरोत में भी अव्वल
नए ट्रैक्टर की खरीद के साथ पुराने ट्रेक्टर की खरीद-फरोत भी बड़ी मात्रा में होती है। इस प्रक्रिया में पुराने ट्रैक्टर को सही तरीके से मरम्मत और सर्विस के बाद बेचा जाता है, ताकि किसान अपने बजट के अनुसार ट्रैक्टर खरीद सके। ट्रैक्टरों के रख-रखाव के चलते पुराने ट्रैक्टर भी अच्छे दाम में बीकते हैं।
नागौर जिले में प्रतिवर्ष ट्रैक्टर बिक्री में करीब 15 फीसदी इजाफा हो रहा है। जिले के किसानों की पहली पसंद एक विशेष कपनी के ट्रैक्टर हैं क्यों कि इनका एवरेज व लिट प्रणाली बेहतर है। कोरोना काल में भी ट्रैक्टर इंडस्ट्री अच्छी चल रही थी।
– राकेश परिहार, डायरेक्टर, ट्रैक्टर एजेंसी हमारे यहां के कृषि उपकरण विशेष तौर पर तैई जिले ही नहीं बल्कि राज्यभर में प्रसिद्ध है क्यों कि इस तैई का चाक मिलान खेत के अनुसार रूप ले लेता है जो खेती करने के लिए सबसे अहम प्रक्रिया है।