नागौर

जिस मिट्टी से मिल सकते हैं अरबों रुपए, उसे ‘धूल’ मान अफसरों ने लगा दिए ढेर

नागौर जिले की मातासुख लिग्नाइट कोयला खान में राजस्थान स्टेड माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड (आरएसएमएमएल) और खान एवं भूविज्ञान विभाग (डीएमजी) के अफसरों की बड़ी बेपरवाही सामने आई है।

नागौरOct 20, 2019 / 03:39 pm

Santosh Trivedi

चैनसुख धेड़ू/तरनाऊ (नागौर)। जिले की मातासुख लिग्नाइट कोयला खान में राजस्थान स्टेड माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड (आरएसएमएमएल) और खान एवं भूविज्ञान विभाग (डीएमजी) के अफसरों की बड़ी बेपरवाही सामने आई है। यहां आरएसएमएमएल कोयले का खनन 16 सालों से कर रहा है, लेकिन इसके साथ निकलने वाली मुल्तानी मिट्टी (मेट) को वेस्टेज मानकर खुले में डाल रहा है। उच्च पदस्थ विभागीय सूत्रों ने बताया कि 16 वर्षों में मातासुख कोयला खान से 29 लाख टन कोयला निकाला जा चुका है और इतनी मात्रा में मुल्तानी मिट्टी निकली है। बाजार में मुल्तानी मिट्टी के भाव 10 से 30 रुपए प्रति किलो तक है। यदि सबसे नीचे का मूल्य भी आंका जाए, तो खान से निकली करीब 29 लाख टन मुल्तानी मिट्टी का राजस्व 26 अरब रुपए से अधिक होता। वर्ष 2012 के बाद आरएसएमएमएल ने मुल्तानी मिट्टी का अलग ढेर बना एक कृत्रिम पहाड़ तैयार कर दिया है।

 

निर्णय डीएमजी करेगा
खान एवं भूविज्ञान विभाग (डीएमजी) की प्रोप्रटी है, इसलिए मुल्तानी मिट्टी को लेकर वही निर्णय लेंगे। हम ऐसे नहीं बेच सकते। वे ही वेल्यूएश व ऑक्शन करेंगे।-महिपाल जुगतावत, खान महाप्रबंधक, नागौर

ऑक्शन करवाएंगे
हां, यह सही है कि खदानों से कोयले के साथ बड़ी मात्रा में मुल्तानी मिट्टी निकल रही है, सभी बिन्दुओं की स्टडी करके ऑक्शन का प्रयास करेंगे।-एनके कोठारी, एडीएम (मुख्यालय), खान एवं भूविज्ञान विभाग, उदयपुर

औषधीय मिट्टी है ये
मुल्तानी मिट्टी को अंग्रजी में फुलर्स अर्थ कहा जाता है। यह एक प्रकार की औषधीय मिट्टी है। चर्म रोग में अत्यधिक उपयोगी। इसमें मैग्नीशियम, सोडियम जैसे धातु के अणु होते हैं।-कोजाराम, कृषि पर्यवेक्षक, नागौर

कोई प्रस्ताव नहीं बना
मेरी जानकारी में माइंस में कोयले के साथ निकल रही मुल्तानी मिट्टी की बिक्री को लेकर आज तक कोई प्रस्ताव नहीं बनाया गया है।
-श्रवण बेरवाल, माइंस मैनेजर, आरएसएमएमएल

प्राचीनकाल से उपयोगी
औषधीय गुण होने के कारण प्राचीनकाल से ये मिट्टी बहुत उपयोगी है। ये त्वचा से गंदगी हटाने के साथ चर्म रोग दूर करने तथा खुजली में भी राहत दिलाती है।
-सुखराम चौधरी, आर्युवेदिक चिकित्सक, जेएलएन अस्पताल, नागौर

बहुउपयोगी है मेट
ब्रिटेन में इसका ऊन उद्योग में प्रयोग किया जाता था।
प्राकृतिक कंडीशनर के चलते बाल धोने, त्वचा मुलायम रखने व चर्म रोग से दूर रहने के कारण स्नान करने में उपयोगी।
फेस पैक सहित करीब-करीब सभी सौदर्य प्रसाधनों में और ब्यूटी पार्लरों पर इस्तेमाल।
रिसाव रोकने के लिए नए टयूबवेलों में डाली जाती है ये मिट्टी।

Hindi News / Nagaur / जिस मिट्टी से मिल सकते हैं अरबों रुपए, उसे ‘धूल’ मान अफसरों ने लगा दिए ढेर

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.