शिक्षा अधिकारियों के अनुसार प्रारंभिक शिक्षा की तीसरी, पांचवीं एवं आठवीं कक्षा में अध्ययनरत बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने देशभर में सर्वे के निर्देश दिए थे। इसके तहत राजस्थान के सभी 33 जिलों में सर्वे किया गया। प्रदेश के लगभग 70 प्रतिशत स्कूलों में टीम ने जाकर बच्चों से पाठ्यक्रमानुसार उनकी योग्यता के हिसाब से सवाल पूछे, और उत्तरों को मौके पर ही परखा ।जिसमें नागौर के बच्चों ने सही जवाब दिए। इस दौरान जयपुर, सीकर,
उदयपुर ,
जोधपुर ,
अजमेर एवं
कोटा आदि क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों के साथ नागौर में ज्यादा सूक्ष्मता से सर्वे किया गया। अप्रत्याशित रूप से जयपुर, सीकर एवं जोधपुर व
बीकानेर तथा कोटा जैसे शिक्षा हब माने जाने वाले जिलों को पछाड़ते हुए नागौर जिले के बच्चों की शैक्षणिक योग्यता की श्रेणी पहले नंबर पर मानी गई। सर्वे टीम ने यह रिपोर्ट मानव संसाधन मंत्रालय को भेज दी। इसके पश्चात अधिकारियों ने स्क्रीनिंग करते हुए फिर से जांच की, उसमें भी नागौर के बच्चों की शैक्षणिक योग्यता प्रदेश में पहले नंबर पर ही आई। परिणाम घोषित करने के बाद इसकी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को भेज दी गई है। सर्वशिक्षाभियान के एडीपीसी गोपाल प्रसाद ने बताया कि निदेशालय ने नागौर को शैक्षणिक गुणवत्ता में पहला नंबर पर मिलने के बाद इसमें और सुधार करने के जिला शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से देशभर में करवाए गए सर्वे में हुई थी तीसरी, पांचवीं एवं आठवीं कक्षा के बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता की जांच, जयपुर, सीकर, जोधपुर एवं कोटा सरीखे जिलों को नागौर ने पछाड़ा। इसे शिक्षा विभाग ने काफी बड़ी उपलब्धि बताया है।