नागौर

Nagaur patrika…स्वायत्त शासन विभाग के आदेश के बाद भी श्वानों की नहीं की जा रही धरपकड़, हो रहे हमले…VIDEO

-शहरी एवं आवासीय सीमा में आवारा श्वानों को पकडकऱ जंगली सीमा में छोडऩे के दिए थे आदेश-कुत्तों के हमलों के चलते रात्रि में सफर करना हुआ मुंश्किल-वर्ष 2019 में तत्कालीन निदेशक एवं संयुक्त सचिव पवन अरोडा एवं निदेशक रहे सुरेश कुमार ओला ने एक वर्ष पूर्व की ओर से जारी किया गया थाजिले में रात्रि […]

नागौरJan 16, 2025 / 10:03 pm

Sharad Shukla

-शहरी एवं आवासीय सीमा में आवारा श्वानों को पकडकऱ जंगली सीमा में छोडऩे के दिए थे आदेश
-कुत्तों के हमलों के चलते रात्रि में सफर करना हुआ मुंश्किल
-वर्ष 2019 में तत्कालीन निदेशक एवं संयुक्त सचिव पवन अरोडा एवं निदेशक रहे सुरेश कुमार ओला ने एक वर्ष पूर्व की ओर से जारी किया गया था
जिले में रात्रि में सडक़ों पर श्वानों के बढ़ा आतंक…विशेष खबर
नागौर. सडक़ों पर श्वानों के बढ़ते हिंसक घटनाओं के खिलाफ रोकथाम लगाने के लिए स्वायत्त शासन विभाग ने स्थानीय निकायों को तो दिशा-निर्देश जारी किए, लेकिन स्थानीय निकायों ने इनकी पालना करने जहमत ही नहीं उठाई। स्थिति यह है कि लावारिश पशुओं को पकडऩे के लिए पूरे साल में एक या दो बार अभियान के नाम पर तो खानापूर्ति जरूर कर दी जाती है, लेकिन श्वानों के खिलाफ पिछले 10 वर्षों के दौरान एक भी धरपकड़ अथवा छोडऩे का अभियान नहीं चला, नतीजनत श्वानों की बढ़ती जनसंख्या ने हमलों के साथ ही अब आवासीय क्षेत्रों में लगभग अपना कब्जा जमा लिया है। इनकी दहशत का खामियाजा हर दिन लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
प्रदेश भर में श्वानों के हमले में घायल बच्चों की मौत के बाद हरकत में आए स्वायत्त शासन विभाग के तत्कालीन निदेशक सुरेश कुमार ओला ने करीब एक साल पहले स्थानीय निकायों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के साथ ही अभियान स्तर पर कार्रवाही करने के आदेश दिए थे। मिली जानकारी के अनुसार स्वायत्त शासन विभाग ने माना था कि प्रदेश में तकरीबन 10 लाख कुत्ते हैं। इनकी वजह से लोगों का सडक़ों पर शांति से सफर करना मुश्किल हो गया था। समस्त स्थितियों का आंकलन करने के बाद ही गाइडलाइन जारी की गई थी। इसके पूर्व वर्ष 2019 में भी 22 अप्रैल को स्वायत्त शासन विभाग के तत्कालीन निदेशक एवं संयुक्त सचिव रहे पवन अरोड़ा ने भी कार्यवाही करने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद भी कुछ नहीं किया गया।
स्वायत शासन विभाग ने जारी की थी यह गाइडलाइन
राजस्थान के सभी निकायों में स्थित महाविद्यालयों (कॉलेज), विद्यालयों (स्कूल), अभिभावकों, नागरिकों की शिकायत पर हिंसक और आक्रामक प्रवृत्ति के कुत्तों को शहर से दूर ले जाकर छोड़ा जाए। ऐसे कुत्तों को चिह्नित कर वैक्सीनेशन किया जाए। सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों के लेबर रूम, गायनिक रूम, ऑपरेशन थिएटर, शिशु वार्ड के आस-पास रहने वाले कुत्तों को चिकित्सा विभाग की शिकायत पर तत्काल पकडकऱ शहरों से दूर छोड़ा जाए। पालतू कुत्तों को चिह्नित कर उनके मालिकों को वैक्सीनेशन के लिए पाबंद किया जाए। आवारा कुत्तों के संबंध में गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित कर एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) प्रोग्राम को बढ़ावा दिया जाए। आवारा कुत्तों को पकडकऱ किसी एक स्थान पर रखे जाने के संबंध में गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्रवाई की जाए।
स्थानीय निकायों को परवाह ही नहीं
स्वायत्त शासन विभाग की ओर से गत पांच सालों के अंतराल में दो बार इन श्वानों के खिलाफ धरकपड़ कर इनको छोड़े जाने के संबंध में तत्कालीन निदेशकों की ओर से आदेश दिए जाने के बाद भी स्थानीय निकाय के जिम्मेदार अधिकारी सोए रहे। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नागौर नगरपरिषद की ओर से भी न तो श्वानों की धरपकड़ के लिए किसी सामाजिक संस्था आदि से संपर्क किया गया, और न ही खुद के स्तर पर इनको पकडऩे के लिए किसी एजेंसी से अनुबंध किया गया। इसके चलते हालात बेहद खराब हो चुके हैं। अकेले नागौर शहर में इन कुत्तों की संख्या गत पांच वर्षों के दौरान आठ से नौ गुना बढ़ गई है। इसी के चलते सारे चौराहों, प्रमुख मार्गों एवं आवासीय क्षेत्रों में इन खूंखार श्वानों का कब्जा हो चुका है।
इनका कहना है…
लावारिश खूंखार कुत्तों के संदर्भ में कोई शिकायत आती है तो प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कदम उठाए जाते हैं। इस संबंध में यदि कोई शिकायत करता है तो फिर नगरपरिषद की ओर से कार्रवाई की जाएगी।
रामरतन चौधरी, आयुक्त नगरपरिषद नागौर

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