ज्योति मिर्धा और बेनिवाल तीसरी बार आमने-सामने होंगे। इससे पहले 2014 और 2019 में भी दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा है। ठीक 5 साल बाद चेहरे नहीं बदले हैं लेकिन समीकरण बदल चुके हैं। जहां 2019 में ज्योति मिर्धा कांग्रेस की प्रत्याशी थी, तो वहीं हनुमान बेनिवाल ने उनके खिलाफ चुनाव लड़कर जीत हासिल किया था। लेकिन इस बार की परिस्थिति में बेनिवाल कांग्रेस के समर्थन से चुनावी मैदान में हैं, तो वहीं ज्योति मिर्धा बीजेपी की टिकट से प्रत्याशी होंगी।
नागौर परंपरागत रूप से जाट राजनीति का प्रमुख गढ़ माना जाता है। नागौर के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो नागौर में जाट बहुसंख्यक हैं। मुस्लिम मतदाताओं की आबादी दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा राजपूत, एससी और मूल ओबीसी वोटर भी अच्छी संख्या में हैं। नागौर लोकसभा सीट पर लंबे समय तक मिर्धा परिवार का दबदबा रहा है। नागौर से सबसे ज्यादा बार सांसद बनने का रिकॉर्ड नाथूराम मिर्धा के नाम है, जो छह बार नागौर से जीते थे। नाथूराम मिर्धा परिवार जाट समुदाय से है।
गठबंधन के बाद, आरएलपी नेता ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए लिखा, “आरएलपी इंडिया अलायंस में शामिल हो गई है, और हम राजस्थान में लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ेंगे। नागौर में हमारा एक मजबूत समर्थक आधार है और मुझे विश्वास है कि हम चुनाव में एनडीए को हराएंगे।”