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माहेश्वरी ने कहा कि जायल क्षेत्र में टैंकरों से पानी परिवहन के लिए २२५ लाख रुपए की स्वीकृत जारी कर दी गई है और इसमें काम भी शुरू हो गया है। माहेश्वरी ने कहा कि २१ नए नलकूपों के लिए २५८.५३ लाख और पुराने नलकूप ठीक करने के लिए करीब ५० लाख रुपए बजट की स्वीकृति जारी की जा चुकी है। पीएचईडी को अपने स्तर पर आरओ प्लांट लगाने व पुराने नलकूप की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही पूर्व में करार की शर्तों का उल्लंघन करने पर जांच करवाकर नियमानुसार कार्रवाई भी की गई है। इससे पूर्व
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मातासुख पेयजल परियोजना में आरएसएमएमएल कंपनी के साथ हुए समझौते के अनुसार कंपनी को २० एमएलडी क्षमता का आरओ प्लांट लगाकर खारे पानी को मीठा कर १३ एमएलडी पानी देना था, लेकिन पिछले पांच साल में कंपनियों ने पूरा पानी नहीं दिया और भुगतान उठा लिया। इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। कंपनी को जायल क्षेत्र के १२० गांवों में पानी की आपूर्ति करनी थी लेकिन कंपनी ने मात्र एक एमएलडी बदबूदार, खारा व गंदा पानी दिया जिससे पशु धन व लोग बीमार हो गए। इस पानी की सरकारी लेब में जांच करवाने पर इसका टीडीएस ग्यारह सौ पीपीएम था, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
टेंकर से मंगवा रहे पानी नागौर में २०१४ से लेकर अब तक तीन कलक्टर पानी की जांच कर चुके हैं, जिसमें एक कलक्टर पानी सही बता रहा है जबकि दूसरा खराब। ऐसे में किसकी रिपोर्ट को सही माना जाए। विधायक ने कहा कि यह बांका पट्टी क्षेत्र है। लगातार
फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से लोग टेढे मेढ़े हो जाते हैं। पन्द्रह सौ से तीन हजार रुपए देकर टैंकर से पानी मंगवाना पड़ता है। मातासुख परियोजना में बड़ा घोटाला हुआ है। डोसी और रामकी कंपनी करोड़ों रुपए का भुगतान उठा रही है। सरकार को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।
फरड़ौद तक बिछाएं लाइन विधायक ने कहा कि गोगेलाव डेम में ७४ एमएलडी पानी उपलब्ध है। गोगेलाव से सीधा फरड़ौद तक ३५ किमी लाइन बिछाकर जायल के मातासुख परियोजना से जुड़े १२० गांवों को मीठे पानी की आपूर्ति की जा सकती है, क्योंकि यहां पेयजल लाइन व टंकियां पहले से बनी हुई है। बेनीवाल ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी अगर पीने के पानी के मामले में भ्रष्टाचार हो रहा है तो इससे ज्यादा गलत कुछ नहीं हो सकता। इसलिए इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय कमेटी से या एसीबी से जांच करवाकर लोगों को राहत देनी चाहिए।