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नागौर

VIDEO…किसानों ने बेची 22 करोड़ से ज्यादा की मूंग

कृषि उपज मंडी में अब ढाई हजार क्विंटल से ज्यादा की मूंग का किया जा चुका है बेचान

नागौरJan 10, 2024 / 09:51 pm

Sharad Shukla

Nagaur news

Farmers sold moong worth more than Rs 22 crore

खरीद केन्द्र के माध्यम से किसानों से हो चुकी है एक करोड़ 28 लाख 45 हजार 625 रुपए की मूंग खरीद
-कृषि मंडी की खुली नीलामी में अब काश्तकारों की चहल-पहल हुई कम, समर्थन मूल्य केन्द्र पर बढ़ी भीड़
नागौर. कृषि उपजमंडी की खुली नीलामी में मूंग के भावों में लगभग समानांतर की स्थिति होने से समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र पर किसानों की भीड़ बढ़ गई है। मंडी की खुली नीलामी में मूंग का भाव जहां 8600 सौ रुपए प्रति क्विंटल है, वहीं समर्थन मूल्य केन्द्र में 8558 रुपए प्रति क्विंटल की दर से मूंग खरीदी जा रही है। भावों में ज्यादा अंतर नहीं होने के चलते काश्तकारों में मूंग की उपज को समर्थन मूल्य केन्द्र पर बेचने की होड़ लगी हुई है। इसकी वजह से कृषि उपज मंडी में समर्थन मूल्य केन्द्र के मार्फत अब तक करीब डेढ़ हजार काश्तकारों की से मूंग की उपज खरीदी जा चुकी है। काश्तकार अब तक 22 करोड़ से ज्यादा की मूंग समर्थन मूल्य के पेटे बेचान कर चुके हैं। स्थिति यह है कि कृषि उपज मंडी में समर्थन मूल्य के लिए निर्धारित यार्ड मूंग भरे कट्टों से अटे पड़े हुए हैं। खरीद केन्द्र के अधिकारियों का कहना है कि अब तक 44 हजार से ज्याद मूंग के कट्टे भी वेयर हाउस में जमा किए जा चुके हैं। साढ़े नौ हजार से ज्यादा मूंग से भरे कट्टे यार्ड में रखे हुए हुए हैं। इनको भी वेयर हाउस में जल्द ही जमा करा दिया जाएगा।
कृषि उपज मंडी में चल रही समर्थन मूल्य केन्द्र पर किसानों की चहल-कदमी बढ़ गई है। प्रतिदिन तकरीबन अस्सी से नब्बे काश्तकारों के मूंग की खरीद होने से पूरा यार्ड भरा नजर आने लगा है। हालांकि खरीद तो एक नवंबर से शुरू हो चुकी है, लेकिन समर्थन मूल्य केन्द्र पर मूंग की खरीद में तेजी मंडी की खुली नीलामी में भाव गिरने के बाद आई है। करीब एक माह पूर्व मूंग का भाव साढ़े आठ हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर का आंकड़ा पार कर गया था। इसकी वजह से मंडी की खुली नीलामी में मूंग बेचने की होड़ लगी हुई थी। इसके बाद भाव गिरे तो स्थिति बदल गई। अब खुली मंडी में मूंग बेचने की जगह समर्थन मूल्य केन्द्र पर इसे बेचने के लिए काश्तकारों की भीड़ बढऩे लगी है। इसके चलते अब तक लाभान्वित हुए किसानों की संख्या का आंकड़ा 1400 की संख्या पार कर गया है। अब स्थिति यह हो गई है कि समर्थन मूल्य केन्द्र पर मूंग बेचान के लिए अब रोजाना करीब सौ किसानों को बुलाया जा रहा है। जबकि महज एक माह पूर्व ही यह संख्या पांच या छह काश्तकारों की हुआ करती थी। यही वजह रही कि शनिवार को कृषि उपजमंडी में समर्थन मूल्य केन्द्र पर मूंग बेचने आए किसानों के ट्रेक्टरों की लाइन लगी नजर आई।
इनके भाव औसत रहे, बाजार में तेजी नहीं
कृषि उपजमंडी में इन दिनों केवल मूंग की ढेरियां ही परिसर में नजर आ रही हैं। जबकि जीरा, सौंफ, ग्वार एवं सरसों और मोठ के बाजार में लगभग सन्नाटा की स्थिति बनी हुई है। जीरा का भाव महज पंद्रह दिनों के अंतराल में जीरा का भाव करीब दो हजार रुपए प्रति क्विंटल गिरा है। इसके पहले जीरा 33 हजार से 34 हजार प्रति क्विंटल बिक रहा था, लेकिन शनिवार को जीरा 31 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिका। व्यापारियों की माने तो अब जीरा की केवल सौ से डेढ़ सौ बोरियां ही मंडी में आ रही है। जबकि सीजन में आठ से नौ हजार बोरियां आ रही थी। इसी तरह से सौंफ, सरसों, ज्वार एवं तारामीरा की स्थिति बनी हुई है। इनके भावों में पिछले एक माह के दौरान कोई विशेष अंतर नहीं आया। कृषि उपजमंडी के व्यापारी पवन भट्टड़ का कहना है कि अब सीजन की फसल आने के बाद ही मंडी के कारोबार में तेजी आएगी।
एक नजर इस पर
समर्थन मूल्य पर मूंग के कुल कट्टों की संख्या-53622
समर्थन मूल्य केन्द्र पर खरीदी गई कुल मूंग-26811 क्विंटल
समर्थन मूल्य केन्द्र में लाभान्वित हुए किसानों की संख्या-1401
समर्थन मूल्य पर अब तक खरीदी गई मूंग की लागत-22 करोड़ 94 लाख 48 हजार 538 रुपए
समर्थन मूल्य केन्द्र की ओर से वेयर हाउस में जमा कट्टे-44012
समर्थन मूल्य के प्लेटफार्म पर एकत्रित मूंग से भरे कुल कट्टे-9610

काश्तकार बोले: भाव अच्छा मिल रहा है
समर्थन मूल्य केन्द्र में मूंग को भाव अच्छे मिल रहे हैं, लेकिन इसको और बढ़ाना चाहिए। ऐसा होता तो फिर काश्तकारों को ज्यादा फायदा होता।
बाबूलाल जांगीड़, काश्तकार
समर्थन मूल्य एवं मंडी की खुली नीलामी में भाव का ज्यादा अंतर नहीं है, लेकिन सरकार को तुरन्त पैसे दिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे किसानों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
रामजीवन, काश्तकार
मूंग ही नहीं, बल्कि प्रत्येक फसल को समर्थन मूल्य के दायरे में सरकार को लाना चाहिए। इससे काश्तकारों को ज्यादा दिक्कतें नहीं होगी। इसका भाव भी और बेहतर करना चाहिए।
सुरेश मुण्डेल, काश्तकार

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