गौरतलब है कि गत जनवरी में संपन्न हुए 16वीं राजस्थान विधानसभा के प्रथम सत्र में नागौर शहर में बालवा रोड पर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर आवासीय कॉलोनी में मकानों के घटिया निर्माण से जुड़े मामले, जिनकी जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में चल रही है, उनकी प्रगति जानने के लिए विधायक बेनीवाल ने सवाल लगाया था। जिस पर सरकार ने जवाब देकर बताया कि 8 अक्टूबर 2014 को राजस्थान आवासन मंडल खंड नागौर के तत्कालीन आवासीय अभियंता हाकमचन्द पंवार व अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ और 4 दिसम्बर 2017 को तत्कालीन आवासीय अभियंता सर्वेश शर्मा व अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ और दोनों मामलो में साक्ष्य के अभाव में अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में पेश कर दिया गया। वहीं 4 दिसम्बर 2017 को तत्कालीन आवासीय अभियंता हाकमचंद पंवार व अन्य के खिलाफ दर्ज हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी से जुड़े तीसरे मामले में जांच अभी तक लंबित बताई है।
सरकार का गोलमाल जवाब बेनीवाल ने हाउसिंग बोर्ड के मकानों में घटिया निर्माण से जुड़े मामलो में लंबे समय से जांच नहीं होने की जानकारी मांगी, जिस पर सरकार ने बताया कि ब्यूरो में दर्ज मामले अधिकतर दस्तावेजों, साक्ष्यों पर आधारित होते हैं तथा आरोप काफी जटिल प्रकृति के होते हैं, जिनकी जांच नियमों के अनुरूप परीक्षण करवाने में समय लगता है। सरकार ने लंबित अनुसंधान से जुड़े मामले में शीघ्रता से नियमानुसार कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, लेकिन इस मामले को लेकर पूर्व में भी दो-तीन प्रश्न विधानसभा में लगाए जा चुके हैं, जिनमें पहले जांच प्रक्रियाधीन बताई और अब एफआर देने की जानकारी दी है।
बेनीवाल ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण सवाल का जवाब आने पर बेनीवाल ने कहा कि हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का निर्माण अत्यंत निम्न श्रेणी का हुआ और ठेकेदारों से लेकर अभियंताओं ने मिलकर भारी भ्रष्टाचार किया, लेकिन वर्ष 2014 व 2017 में दर्ज मामलों में लंबे समय तक जांच लंबित रखकर अंत में साक्ष्य का अभाव बताकर न्यायालय में एफआर पेश कर देना दुर्भाग्यपूर्ण है, जो एसीबी की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान है।