अन्तराल लगातार घटा खींवसर सीट बनने के बाद से लेकर अब तक हनुमान बेनीवाल का इस सीट पर कब्जा रहा, लेकिन शुरू से लेकर जीत का अंतराल घटा जरुर। बेनीवाल वर्ष 2008 का चुनाव 24443 वोटों से जीते जबकि 2013 में यह अन्तराल घटकर 23020 वोट से रह गया। 2018 में 16948 वोट से ही जीते। जबकि 2019 के उप चुनाव में हनुमान के भाई नारायण बेनीवाल 4630 वोटों से जीते। इस बार के विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल मात्र 2200 वोटों से ही अपनी सीट बचा पाए।
प्रत्येक चुनाव में बाजी मारी खींवसर विधानसभा बनने के बाद वर्ष 2008 में यहां से हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ा और बसपा के उम्मीदवार दुर्गसिंह चौहान को 24443 मतों से हराया। यही स्थिति 2013 के चुनावों में रही। हालांकि इस चुनाव में बेनीवाल निर्दलीय लड़े, लेकिन बसपा के दुर्गसिंह चौहान को 23020 वोटों के अन्तराल से दूसरी बार चुनाव हराकर विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 2018 में जब दुर्गसिंह चौहान ने मैदान छोड़ दिया तो निर्दलीय उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस के प्रत्याशी एवं पूर्व डीआईजी सवाईसिंह चौधरी को 16948 मतों से हराकर विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2019 में हनुमान बेनीवाल ने अपनी खुद की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर भाजपा से गठबन्धन किया और लोकसभा चुनाव लड़ा। संसद सदस्य निर्वाचित हो गए। सांसद बनने के बाद खाली हुई खींवसर सीट पर भाजपा के साथ गठबंधन कर अपने भाई नारायण बेनीवाल को चुनाव लड़वाया जिसमें वे 4630 वोटों से जीते। इस बार के चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के रेवन्तरामडांगा को हराकर विधायक बने।
… तो जमानत भी जब्त हुई खींवसर में राष्ट्रीय पार्टियां तीसरे व चौथे नम्बर पर भी रही। वर्ष 2008 के चुनावों में कांग्रेस के सहदेव चौधरी तीसरे नम्बर पर रहे, उन्हें केवल 17150 वोट ही मिले। वहीं 2013 के चुनावों में भाजपा के भागीरथ मेहरिया तीसरे नम्बर पर रहे, वहीं कांग्रेस के राजेन्द्र फिड़ौदा चौथे नम्बर पर रहे उन्हें केवल 9257 वोट ही मिल पाए। वहीं 2018 के चुनावों में भाजपा तीसरे नम्बर पर रही, भाजपा के रामचन्द्र उत्ता को 26809 वोट मिले।