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सहकारिता विभाग के संयुक्त सचिव दिनेश कुमार जांगिड़ की ओर से योजना को लेकर जारी परिपत्र में कहा कि ग्रामीण अंचल में निवासरत परिवार अपनी आजीविका के लिए कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन पर भी आत्मनिर्भर है। सरकार ने गौवंश संरक्षण के साथ इस कार्य से जुड़े परिवारों को सहायता देने के लिए योजना लागू की है। योजना के तहत गोपालक का स्थानीय डेयरी व सहकारी समिति का सदस्य होना अनिवार्य है। आवेदक को डेयरी सहकारी समिति के सचिव की ओर से अनुमानित ऋण राशि की अभिशंषा पर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से आवेदक के जमानतदार की रिपोर्ट का परीक्षण करने के पश्चात साख संतोषप्रद होने पर ही ऋण दिया जाएगा। परिवार में एक लाभ ले सकेगा।खरीद सकेंगे उपकरण
योजना के मुताबिक गोपालक गौवंश के लिए उपकरण एवं निर्माण भी ऋण राशि से खरीद सकेंगे। गौवंश के लिए टीन शैड व खेली का निर्माण, चारा, बांटा सबन्धी उपकरण भी खरीद सकेंगे। किसान क्रेडिच कार्ड की तर्ज पर ही यह योजना है, जिसमें ऋण का ब्याज नहीं चुकाना होगा। साख सीमा राशि का आंकलन, व्यवसाय की पूंजीगत आवश्यकताओं, कार्यशील पूंजी तथा रोजमर्रा की जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। केन्द्रीय सहकारी बैंकों तथा ग्राम सेवा सहकारी समितियों की ओर से राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार व नाबार्ड की विभिन्न डेयरी गतिविधियों के प्रचलित ऋण योजनाओं में इस योजना की अधिकतम ऋण सीमा तक का ऋण दिया जाएगा। योजना में राज्य सरकार अधिकतम 10.25 प्रतिशत की दर से ब्याज पर अनुदान देंगी।
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कर रहे गोपालकों को प्रेरित
गोपालन क्रेडिट कार्ड ऋण योजना के प्रथम चरण में पांच लाख गोपालकों को सरकार 150 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण देगी। योजना को लेकर गोपालकों को प्रेरित कर रहे हैं। ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी चल रही है। प्रदेश के गोपालकों को इस योजना का भरपूर लाभ मिलेगा।
भजनलाल लोहिया, प्रबंधक सैन्ट्रल कॉ-ऑपरेटिव बैंक
तीन से अधिक नहीं हो ऋण
योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक के पक्ष में तीन से अधिक ऋण नहीं होने चाहिए। प्रतिवर्ष पूर्व खाते में बकाया राशि जमा करवाकर साख सीमा को अगले वर्ष के लिए नवीनीकृत करवाना होगा। जिसमें स्वीकृत ऋण की राशि को 12 समान मासिक किस्तों में वसूला जाएगा, ताकि गौपालक पर एक साथ राशि चुकाने का भार नहीं हो। ऋण अवधि पार होने पर आवेदक से साधारण ब्याज के साथ अधिकतम दो प्रतिशत की दर से दण्डनीय ब्याज वसूला जाएगा। ऋण की सुरक्षा के लिए ऋण राशि के 1.50 गुणा मूल्य की स्थायी सपति, भूमि भवन आदि बैंक को रहन करनी होगी।