उन्होंने धर्मसभा को संबोधित करते हुए भी यही कहा कि मेरी राजनीतिक मंशा और सोच नहीं है, राजनीति की शुरुआत तो मैंने इसी राजस्थान की पावन धरा से की थी और एक बार नहीं, बल्कि दो बार विधायक बना और चाहता तो यहीं राजनीति करता। लेकिन हरियाणा के लोगों को मेरी आवश्यकता थी और मैंने वहां राजनीति शुरू की।
मंदिर निर्माण के कार्य को लेकर चौटाला ने कहा कि इस काम को कोई अकेला अजयसिंह चौटाला नहीं कर सकता। मैं तो इसमें योगदान दे सकता हूं। मैंने तो दो महीने पहले भी ब्लैंक दिया था और कहा था जितनी चाहे राशि भर लो, लेकिन मंदिर बनना चाहिए। लेकिन पीछे से मैंने कुछ सुना, किसी ने मुझे बताया कि पहले 15 करोड़ रुपए जमा कराओ, 50 करोड़ रुपए जमा कराओ। आजकल आप लोग ईडी के बारे में अखबार में पढ़ते हो, वो दूसरे ही दिन पीछे पड़ जाती है। मेरी इतनी हैसियत नहीं है कि मैं 15 करोड़ या 50 करोड़ रुपए डिपोजिट कराऊं। लेकिन इतनी हैसियत जरूर रखता हूं कि जो नींव मैंने रखी है, वहां भव्य मंदिर बनेगा और एक दिन भी काम नहीं रुकेगा। हर महीने मैं यहां आऊंगा काम का निरीक्षण करने। बाकि सबके सहयोग की आवश्यकता है। चौटाला ने राम सेतु निर्माण में गिलहरी के योगदान का उदाहरण देते हुए कहा कि जिसकी जो हैसियत है, उतना योगदान जरूर दें।