देशभर में कैंसर मरीजों की संख्या में राजस्थान टॉप-10 में है। नए आंकड़ों के अनुसार राजस्थान का देश में 8वां स्थान है। राजस्थान सहित देशभर में कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है। खासकर पिछले पांच सालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। राजस्थान में इस दौरान मरीजों का आंकड़ा 69 हजार से बढकऱ 76 हजार 665 तक पहुंच गया है। देश में 2019 में 13.58 लाख कैंसर रोगी थे, जो दिसम्बर 2023 तक 14.96 लाख हो गए। अधिकांश मामले मुख कैंसर, स्तन कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के देखने को मिल रहे हैं। कैंसर से मौतें घटने की बजाय बढ़ रही हैं। हर पांच साल में करीब 15 प्रतिशत मौतों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
83 उत्पाद कैंसर के इलाज उपलब्ध कैंसर रोगियों को रियायती दरों पर दवा उपलब्ध हो सके इसके लिए 131 कैंसर रोधी अनुसूचित दवा की अधिकतम दर तय की गई है। 43 कैंसर रोधी गैर अनुसूचित दवा के व्यापार मार्जिन को भी सीमित किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर भी 83 उत्पाद कैंसर के इलाज के लिए उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
जागरुकता से रोक सकते हैं कैंसर चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर के लिए जिम्मेदार 70 प्रतिशत कारणों को रोका जा सकता है। इनमें रासायनिक और वायुमंडलीय प्रदूषण, अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें, गतिहीन जीवनशैली और संक्रमण शामिल हैं। यदि कैंसर को शुरुआती चरण में पहचान लिया जाए तो अधिक सफल उपचार और बचने की संभावना अधिक होती है।
ये हैं कैंसर के लक्षण – बिना किसी ज्ञात कारण के अचानक वजन कम होना। – हर समय अत्यधिक थकान महसूस होना। – बुखार जो कम नहीं होता या बार-बार आता रहता है।
– त्वचा के रंग या बनावट में परिवर्तन। – शरीर के किसी भी भाग में गांठ, चाहे दर्द हो या नहीं। – शरीर के किसी भी भाग से असामान्य स्राव या रक्तस्राव।
– त्वचा या मुंह पर घाव या अल्सर जो ठीक नहीं होते। किसी भी व्यक्ति में ये लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से परामर्श लें। इन लक्षणों का हमेशा यह मतलब नहीं होता कि आपको कैंसर है। इनके कई गैर-कैंसर संबंधी कारण भी हो सकते हैं, लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता है।
सलाह लेकर करें कीटनाशकों का उपयोग यह बात सही है कि अंधाधुंध तरीके से फसलों एवं सब्जियों में कीटनाशकों व उर्वरकों का उपयोग कैंसर की वजह बन रहा है। आजकल किसान दुकानदार की सलाह पर ऐसे कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें सक्रिय तत्व ज्यादा होते हैं। ऐसे तत्व अनाज, दलहन व सब्जियों के माध्यम से हमारे शरीर में चले जाते हैं और कैंसर का कारण बनते हैं। किसानों को हमेशा जितनी आवश्यकता है, उतने ही उर्वरक व कीटनाशक डालने चाहिए और वो भी कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर। दुकानदार अधिक मुनाफे के चक्कर में रहते हैं।
– हरीश मेहरा, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, नागौर खान-पान व लाइफ स्टाइल जिम्मेदार हमारे क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसके पीछे मुख्य वजह हमारा खान-पान और बदलती लाइफ स्टाइल है। बाहर का खाना, डिब्बा बंद भोजन, फास्ट फूड, तम्बाकू सेवन, नशा आदि कैंसर के जासेखिम को बढ़ाता है। इसके साथ फसलों में उर्वरकों व पेस्टिसाइड का अत्यधिक उपयोग भी खतरा है।
– डॉ. सहदेव चौधरी, एमडी फिजिशियन, जेएलएन अस्पताल, नागौर