क्या है ओरण भूमि
सालों पहले गांवों में मंदिरों और देवस्थानों के आसपास की वो जमीन जिसे खेती से मुक्त कर दिया गया था। ओरण, संस्कृत के अरण्य शब्द से बना है, जिसका अर्थ वनक्षेत्र या वनभूमि से है। ओरण भूमि जैव विविधता की खान है। ओरण की भूमि पर न तो खेती की जाती है और न ही इन स्थानों पर पेड़ों की कटाई की जाती है, इसलिए यहां पशु-पक्षी स्वछंद विचरण करते हैं। ओरण पशु-पक्षियों के लिए वरदान है।
पश्चिमी जिलों में सबसे ज्यादा
वन विभाग की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन में अधिकतर ओरण भूमि पश्चिमी राजस्थान के जिलों की है। इसमें सबसे अधिक 2,02,130 हैक्टेयर जैसलमेर जिले में, 82,997 हैक्टेयर बाड़मेर में, 31,669 हैक्टेयर फलौदी में, 18,301 हैक्टेयर बालोतरा में, 9,588 हैक्टेयर जोधपुर में, 13,135 हैक्टेयर बीकानेर में तथा 2582 हैक्टेयर नागौर जिले में ओरण भूमि है। इसी प्रकार पश्चिमी जिलों में भी हजारों बीघा ओरण है।
क्या आएगा बदलाव
वन विभाग के अनुसार ओरण को डीम्ड फोरेस्ट घोषित करने का उद्देश्य पेड़ों व पशु-पक्षियों को बचाना ही है। यानी वर्तमान में जो उपयोग ओरण भूमि का हो रहा है, वो जारी रहेगा। डीम्ड फोरेस्ट घोषित होने के बाद लोग न तो खनन कर पाएंगे और न ही पक्का निर्माण करवा पाएंगे। पक्की सडक़ बनानी है तो फोरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत अनुमति लेनी होगी। जबकि ग्रामीण यदि ओरण में घास लगाना चाहेंगे तो बिना अनुमति लगा सकेंगे।
जानिए, कौनसे जिले में कितनी ओरण भूमि
जिला – ओरण भूमि
अजमेर – 1762.19
भीलवाड़ा – 581.7655
टोंक – 122.31
नागौर – 2582.73207
डीडवाना-कुचामन – 1318.1142
करौली – 5.47
डीग – 455.34
दौसा – 75
अलवर – 151.76
नीम का थाना – 14
झुंझुनूं – 237.3812
बीकानेर – 13,135.70
हनुमानगढ़ – 2062.255
अनूपगढ़ – 37.38
झालावाड़ – 32.8009
जोधपुर – 9588.34
सांचौर – 723.49
जालोर – 2014.15
बाड़मेर – 82,997.50913
बालोतरा – 18,301.35236
फलौदी – 31,669.32
सिरोही – 1379.89
बांसवाड़ा – 24
पाली – 2816.5759
चूरू – 1757.3051
बारां – 1194.2583
कोटा – 163.96
बूंदी – 61.72
जयपुर – 269
जैसलमेर – 2,02,230.9326
सवाई माधोपुर – 2556.1
नोट – ओरण भूमि के आंकड़े हैक्टेयर में
डीम्ड फोरेस्ट बनेगी
हां, यह सही है कि ओरण भूमि को डीम्ड भूमि घोषित किया जाएगा। यह कार्य सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किया जा रहा है, इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। डीम्ड फोरेस्ट घोषित होने के बाद कोई भी पक्का काम करने के लिए फोरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत पहले वन विभाग से अनुमति लेनी होगी।
– सुनील कुमार, उप वन संरक्षक, वन विभाग, नागौर