मुजफ्फरनगर/बागपत। लॉकडाउन में जब लोग घरों में बैठे हैं तो किसान अपने खेत में काम कर रहे हैं। इस चिलचिलाती धूप में गन्ने की बुवाई के साथ ही गेहूं की कटाई का काम भी चल रहा है। खेत से गन्ना काटकर शुगर मिलों तक पहुंचाने का काम भी लगातार जारी है। फिलहाल मुजफ्फरनगर में लॉकडाउन में थोड़ी राहत मिली है। लॉकडाउन पूरी तरह खुलने के बाद किसानों के सामने बड़ी समस्याएं आ सकती हैं। लॉकडाउन के कारण किसानों को नुकसान हुआ है, चाहे फूलों की खेती हो या फल—सब्जी की खेती। इसके अलावा मौसम की वजह से भी किसानों के चेहरे पर परेशानी की लकीरें दिख रही हैं।
अगली फसल की तैयारी कर रहे हैं किसान लॉकडाउन के दौरान किसानों के लिए सरकार ने अभी तक न तो कोई राहत पैकेज जारी किया है और न ही किसान द्वारा लिए गए लोन पर ब्याज में छूट को कोई ऐलान किया गया है। किसान को बिजली का बिल भी देना है और क्रेडिट कार्ड सहकारी समिति से खाद्य बीज सहित अन्य लोन भी चुकाना है। बागपत में जनवरी-फरवरी में मुनाफे के चक्कर में ज्यादा लागत लगाकर बोई गई फसलों को किसान मंडी तक नहीं दिखा सके। जिस कारण फसल खेत में ही खराब हो गई। मजबूरन किसानों को फसल जुताई करनी पड़ी। बैंकों से कर्ज लेकर पांच महीने तक खेत में पूरा परिवार लगा रहा और जब नतीजा आया तो लॉकडाउन के कारण सब पर पानी फिर गया। अब थोड़ी छूट मिली है तो किसान खेतों पर निकलकर नष्ट हुई फसल को जुताई कर अगली फसल की तैयारी कर रहे हैं।
मंडियां हो गई थीं बंद बागपत के रटौल निवासी अब्दुल वाहिद का कहना है कि उन्होंने किराये पर खेत लेकर धनिया और खीरे की खेती की थी। एक या दो बार ही वह मंडी ले जा पाए थे लेकिन लॉकडाउन के कारण मंडियों को बंद कर दिया गया। खेत से फसल नहीं निकाल सके। जनवरी में अच्छी लागत लगाकर इसलिए धनिया और खीरा बोया था, ताकि अच्छे दाम मिलेंगे लेकिन फसलों को काटकर फेंकना पड़ रहा है। लॉकडाउन खुलने का इंतजार भी है ताकि अगली फसल बोई जा सके।
लॉकडाउन ने सब बर्बाद कर दिया किसान बसारत कहते हैं कि बैंकों से कर्ज लेकर फसलों की बुवाई की थी। घीया और पेठा लगाया हुआ था लेकिन लॉकडाउन ने सब बर्बाद कर दिया। लॉकडाउन खुलने के बाद अब अगली फसल बुआई का इंतजार रहेगा क्योंकि एक तो पहले ही कर्ज में डूबे हुए थे और अब दोबारा कर्ज लेकर अगली फसल बोनी पड़ेगी।
पड़ोसियों को बांटी किसान ओमपाल का कहना है कि सब्जी तो हमारी तैयार हो गई है लेकिन बेचने के लिए कोई रास्ता नहीं है। ठेली पर लेकर बेच नहीं सकते और मंडी बंद कर दी गई हैं। ऐसे में कहां सब्जी लेकर जाएं। सब्जी ना उतारें तो फसल बर्बाद हो जाती है, और सब्जी उतारें तो उसको कहां बेचें। फ्री में ही आसपास लोगों को देनी पड़ रही है। लॉकडाउन खुलने का इंतजार है। अब भी मेहनत कर रहे हैं कि शायद जल्दी ही लॉकडाउन खुल जाए और कुछ राहत किसानों को मिले।
बिजली का बिल भी कर रहा परेशान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि इससे किसानों की परेशानी जरूर बढ़ेगी। यहां गन्ने की बेल्ट है। शुगर मिल किसानों का भुगतान नहीं दे रही हैं। दूसरा उस पर ब्याज है। उसका इंटरेस्ट है। बिजली का बिल भी देना है। बिजली को लेकर भी प्रशासन से बात की गई थी। उनको चिट्ठी भी लिखी गई कि बिजली के बिल माफ हो जाएं। साथ ही यह भी गुजारिश की गई कि किसान का 1 साल का ब्याज माफ हो जाए लेकिन इस तरह की कोई घोषणा अभी तक नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अभी तो किसान को कोई राहत है। पूर्ण रूप से लॉकडाउन में भी किसान अपने खेत में काम करता रहा। उसकी फसलों के रेट और कम हुए। सब्जियों और फूल का पूरा बर्बाद हुआ। किसान को इसकी हुत ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।
लोन की भी है समस्या उत्तर प्रदेश सरकार में किसान समृद्धि आयोग के सदस्य धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि मंदी का बड़ा दौर आने वाला है। सबसे पहली दिक्कत तो किसान के सामने क्रेडिट की है। किसान ने जो लोन ले रखा था, अब फसलें बिक नहीं रही हैं। समय से कटाई नहीं हो पा रही है और अभी शुगर मिल से भुगतान नहीं हुआ है। कई सर्कुलर पढ़े कि लोन सीमा 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई लेकिन बैंक में कोई कागज नहीं है। बैंक आज भी किसान को परेशान कर रहे हैं। फल, सब्जी और फूल का किसान बिल्कुल बर्बाद होगा। फूल की डिमांड जीरो है। फल—सब्जी खेत से निकल नहीं पा रहे हैं। वे सड़ रहे हैं।
Hindi News / Muzaffarnagar / ग्राउंड रिपोर्ट: बैंकों से कर्ज लेकर 5 महीने तक खेत में लगा रहा पूरा परिवार, अब फ्री में देनी पड़ रही सब्जी