उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर कारागार की जहां कारागार में बंद बंदियों से सभी को सबक लेना चाहिए, क्योंकि जेल के अंदर कारागार बंदी एक ऐसा उदाहरण पेश कर रहे हैं, जो ऐसे लोगों को आईना दिखाता है जो समाज में वैमनस्य फैलाने का काम करते हैं। यहां के बंदी नवरात्रों के पावन अवसर पर व्रत रख रहे हैं इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों मिलकर आपसी सद्भावना और सौहार्द कायम करने में अनूठी पहल कर रहे हैं।
साथ ही बंदियों में आपसी प्रेम और सौहार्द देखा जा सकता है, यहां पर लगभग 3000 से ज्यादा बंदी बंद है, इनमें से 1104 हिंदू बंदी और 218 मुस्लिम बंदी मिलकर नवरात्रों के व्रत रख रहे हैं तथा एक दूसरे की भावना का सम्मान कर रहे हैं, यहां के बंदी वास्तव में समाज के लिए एक उदाहरण से कम नहीं है! यकीनन जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने जेल की तस्वीर बदली है जो बंदियों के आचरण और व्यवहार में भी स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है।
सद्भावना और सौहार्द का यह माहौल जेल में चार चांद लगा रहा है, सच्चाई यह है कि इन बंदियों से सबक लेते हुए आपसी द्वेष नफरत का त्याग करते हुए प्रेम भाव के साथ मिलकर रहना चाहिए, यही हमारी तहजीब भी है ! निसंदेह त्योहार हमें एक दूसरे के करीब लाते हैं जोड़ते हैं तथा एक दूसरे के त्योहारों में सहभागिता करना हमारी पुरानी संस्कृति की पहचान है जिसे जेल में बंद बंदियों ने बखूबी करके दिखाया है और संदेश देने की भी कोशिश की है कि हमें एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होकर सद्भावना का परिचय देना चाहिए।
कुल मिलाकर जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा के सार्थक प्रयासों की सराहना दिल खोलकर करनी होगी जिन्होंने जेल की दिशा और दशा को पूरी तरह बदलकर रख दिया है, बंदियों में बदलाव आया है उनकी सोच बदली है वह भी बंदियों में विश्वास की भावना को जन्म दे रहा है, पूरे उत्तर प्रदेश की जेलों में बदलाव की बयार शुरू हुई है लेकिन मुज़फ्फरनगर कारागार में हुआ सांप्रदायिक सौहार्द सुर्खियों में बना हुआ है।