दरोगा से भिड़े सत्ता के नशे में चूर भाजपाई, वर्दी नोचने का भी प्रयास, जानिये फिर क्या हुआ दरअसल, मामला थाना शाहपुर क्षेत्र के गांव कुटबा का है। जहां शनिवार को गांव निवासी दलित युवक रामदास उर्फ काला पुत्र खजान का गोली लगा शव घर में मिलने से सनसनी फैल गई। मामले की जानकारी पुलिस को मिली तो पुलिस मौके पर पहुंची। बता दें कि मृतक राम दास उर्फ काला के खिलाफ 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगे का मुकदमा दर्ज था। जिसमें वह जेल चला गया था और फिलहाल जेल से जमानत पर बाहर आया हुआ था। रामदास की मौत के बाद उसके घर पर ग्रामीणों और पुलिस का जमावड़ा लग गया। पुलिस प्रथम दृष्टया मामले को आत्महत्या मानकर चल रही है।
भाजपा नेता के संरक्षण में चल रही थी रेव पार्टी, भीतर का नाजारा देख अधिकारी भी रह गए हैरान वहीं ग्रामीण इसे हत्या करार दे रहे हैं, क्योंकि मृतक के पास से पुलिस को कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ है। रामदास के भाई का कहना है कि कुछ हथियाबंद लोगों ने घर में घुसकर उसको गाोली मारी है। रामदास के भाई के मुताबिक, बाइक पर आए कुछ लोग उसके घर में घुस आए और उसके कनपट्टी से सटाकर गोली मार दी। इससे रामदास की मौके पर ही मौत हो गई। उस वक्त रामदास के दो बेटे और बेटी घर के पहले माले पर थे, जबकि पत्नी घर पर नहीं थी। परिवारवालों का कहना है कि पड़ोसियों ने हमलावरों को हत्या करने के बाद भागते देखा है। पुलिस ने इस मामले में रामदास के भाई की शिकायत पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
केजी की छात्रा से रेप कर रहा था तीसरी कक्षा का छात्र कि अचानक पहुंच गए परिजन, जानिये फिर क्या हुआ उल्लेखनीय है कि 2013 में मुजफ्फरनगर हुए दंगों में कुटबा सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक था। रामदास का नाम 8 सितंबर 2013 को दंगों के बाद कुटबा में 8 लोगों की हत्या के मामले में दर्ज था। अब रामदास की हत्या को इसी मामले से जोड़कर देखा जा रहा है। रामदास की हत्या का सुराग लगाने के लिए पुलिस ने पालदा गांव के एक शरणार्थी शिविर पर छापा मारा है। जहां दंगों के बाद से मुस्लिम रह रहे हैं। पुलिस इस कैंप में रहने वाले लोगों के मोबाइल फोन की भी जांच कर रही है। पुलिस यह जानने का प्रयास कर रही है कि रामदास की मौत के वक्त उनके मोबाइल की लोकेशन कहां थी। वहीं ऐहतियातन कुटबा गांव में अतिरिक्त पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है। हालांकि मुजफ्फरनगर के एसएसपी सुधीर कुमार सिंह का मानना है कि रामदास की मौत के पीछे दंगों के केस से कोई संबंध नहीं है।