1000 रुपये मिलता है मानदेय दअरसल, पिछले काफी समय से प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के लिए मिड-डे-मील का खाना बनाने वाली भोजन माताएं मात्र 1000 रुपये मानदेय मिलने के कारण परेशान हैं। इतने रुपयों में उनके घर का खर्च पूरा नहीं हो पाता है। इसके चलते प्रदेश भर में भोजन माताएं लगातार धरना-प्रदर्शन करती आ रही हैं। मुजफ्फरनगर में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के कार्यक्रम होने की सूचना भोजन माताओं को लगी तो उनकी उम्मीद डिप्टी सीएम पर टिक गई। मगर भोजन माताओं को उस समय बड़ा झटका लगा जब पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पर उपमुख्यमंत्री भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ तो मिल रहे थे लेकिन उनसे नहीं मिले। इस बीच भाजपा कार्यकर्ता उपमुख्यमंत्री के साथ सेल्फी लेते रहे और बाहर सैकड़ों भोजन माताएं उपमुख्यमंत्री से मिलने का इंतजार करती रहीं। पीडब्लूडी गेस्ट हाउस पर भारी फोर्स ने उन्हें बाहर ही रोक दिया। इसके बाद उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच उपमुख्यमंत्री वहां से गाड़ी में बैठकर निकल गए। भोजन माताओं का कहना है कि वे लोकसभा चुनाव में उस पार्टी को वोट देंगी जो मानदेय बढ़ाएगी। उपमुख्यमंत्री के जाने के बाद जिलाधिकारी ने भोजन माताओं से मिलकर उनका ज्ञापन लेकर उन्हें आश्वस्त किया।
बच्चों के लिए बनाती हैं खाना भोजन माता कमला का कहना है कि वह स्कूलों में बच्चों के लिए खाना बनाती है। अपने बच्चों को घर पर छोड़कर वह यह काम करती हैं। दोपहर तक उन्हें स्कूल में रुकना पड़ता है और इसके बदले में केवल 1000 रुपये मिलते हैं। इसेस उनके घर का खर्च नहीं चलता है। उनकी काफी समय से मांग है कि उनका मानदेय बढ़ाया जाए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं, भाजना मामता सुनीता का कहना है कि जो भी पार्टी उनकी मांग पूरी करेगी, वे उसे ही वोट देंगी।