किसानों को मिलेंगे 50 हजार रुपए
आपको बता दें कि 15 अगस्त को पीएम मोदी ने भाषण देते हुए कहा कि हमारे देश के किसानों को कम से कम केमिकल्स और पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक उपकरणों को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार की ओर से शुरू की गई परम्परागत कृषि विकास योजना का मुख्य उद्देश्य देश के किसानों को आर्थिक सहायता पहुंचाना है। पीकेवीवाई योजना में सरकार तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता किसानों को देगी।
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खाद्य और दवाइयों के लिए मिलेगी सहायता
इसके अलावा सरकार की इस योजना के तहत किसानों को जैविक खाद, जैविक कीटनाशक जैसी दवाइयां और खेती के लिए उपकरण खरीदने को सरकार 31,000 रुपये की आर्थिक सहायता भी देगी। वहीं, स्वायल हेल्थ मैनेजमेंट के तहत निजी एजेंसियों को नाबार्ड के जरिए प्रति यूनिट 63 लाख रुपये लागत सीमा पर 33 फीसदी तक की आर्थिक सहायता मिल रही है। इसके साथ ही मिशन आर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ इस्टर्न रीजन के तहत काम करने वाले किसानों को भी खाद्य खरीदने के लिए 7500 प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मदद दी जा रही है।
जैविक खेती सर्टिफिकेट की होगी जरूरत
सरकार की इस योजना का लाभ लेनेे के लिए किसानों को जैविक खेती का प्रमाण पत्र लेना होगा। इसके लिए किसानों को आवेदन करना होगा। इस सार्टिफिकेट को रिसीव करने के लिए सरकार की ओर से 19 एजेंसियों को मान्यता दी गई है। आपको उन्हीं एजेसियों से सर्टिफिकेट बनवाना हैं, जिनको सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त है। इसके साथ ही प्रमाण पत्र लेने से पहले मिट्टी, खाद, बीज, सिंचाई, कीटनाशक, कटाई, पैकिंग और भंडारण सहित सभी काम के लिए जैविक सामग्री की जरूरत होगी। इसके साथ ही आपको अपने भंडारण की गई सामग्री का रिकॉर्ड भी रखना होता है। इस रिकॉर्ड की सरकार की ओर से जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही किसानों को सरकार की ओर से सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
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जैविक खेती करना है बड़ी चुनौती
आज के समय में जैविक खेती करना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत जैसे देश जहां पर 130 करोड़ लोग रहते हैं वहां ऑर्गेनिक खेती किसी चुनौती से कम नहीं है। देश में ज्यादा आबादी होने के कारण खेती करने वाले किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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