इन नई जानकारियों को किया गया है शामिल
कर विशेषज्ञों के मुताबिक नौकरी-पेशा करदाताओं की विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय के बारे में अब इसमें ज्यादा जानकारी होगी। नए फार्म-16 में मकान से आय तथा अन्य नियोक्ताओं से प्राप्त पारितोषिक समेत विभिन्न बातों को जोड़ा गया है। इसके साथ ही इसमें विभिन्न कर बचत योजनाओं, कर बचत उत्पादों में निवेश से प्राप्त आय पर की गई कर कटौती, कर्मचारी द्वारा प्राप्त विभिन्न भत्ते के साथ अन्य स्रोत से प्राप्त आय के संदर्भ में अलग-अलग सूचना भी शामिल होगी।
क्या होता है फार्म 16
फार्म 16 वास्तव में किसी करदाता से हुई कर कटौती का प्रमाण पत्र है। इसे नियोक्ता जारी करते हैं। इसमें कर्मचारियों से की गई स्रोत पर कर कटौती ( टीडीएस ) का ब्योरा होता है। फार्म 16 को आमतौर पर जून के मध्य में जारी किया जाता है। इसका इस्तेमाल आयकर रिटर्न भरते समय रिफंड का दावा करने में किया जाता है। बता दें वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न संशोधित फार्म 16 के आधार पर भरा जाएगा।
फॉर्म 24 क्यू भी बदला
आयकर विभाग ने फॉर्म 24 क्यू को भी संशोधित किया है। इसमें गैर-संस्थागत इकाइयों की स्थाई खाता संख्या ( पैन ) का अतिरिक्त ब्योरा शामिल होगा, जिनसे कर्मचारियों ने मकान बनाने या खरीदने के लिये कर्ज लिया है। इसे संस्थान भरकर कर विभाग को देते हैं। इसमें करदाता कर्मचारी की स्रोत से की गई कर कटौतियों की जानकारी होती है। इसे तिमाही आधार पर जारी किया जाता है। कर विशेषज्ञों के मुताबिक फार्म 24 क्यू को संशोधित करने का मकसद इसे और ज्यादा और सूचना देने वाला बनाना है। बता दें कि वेतनभोगी वर्ग और ऐसे करदाता जो अपने खातों के ऑडिट नहीं कराते, उन्हें इस साल 31 जुलाई तक आयकर रिटर्न (आइटीआर) भरना है। फार्म 16 की तरह ही फार्म 24 क्यू का इस्तेमाल भी इसमें होता है।
कर कटौती के यह फार्म भी होते हैं महत्वपूर्ण
फार्म 16 और 24 क्यू की तरह ही फार्म 26 क्यू, फार्म 27 क्यू, फार्म 27 ईक्यू और फार्म 27 डी भी आयकर रिटर्न के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें अलग-अलग श्रेणियों के करदाताओं की कर कटौतियों की जानकारी शामिल होती है। फार्म 26 क्यू वेतन से अलग स्रोतों से प्राप्त आय पर कर कटौती से जुड़ा होता है। 26 डी विक्रेता द्वारा क्रेता से की गई कर कटौती से संबंधित है, जबकि 27 क्यू का संबंध विदेशी और प्रवासी भारतीयों की वेतन से इतर आय से है।