यवतमाल से सामने आए इस मामले के चलते कई सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोपी है कि नौ महीने की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने के कारण ग्रामीण अस्पताल लाया गया था। लेकिन उसके पास आधार न होने के कारण अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया। साथ ही उसे वापस भेज दिया। महिला को वापस भेजे जाने के मामले ने इंसानियत को शर्मसार किया है।
जानकारी के अनुसार यह पूरी घटना जिले के मारेगांव के एक ग्रामीण अस्पताल में हुई है। इस मामले में राहत की बात यह है कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता तत्काल इस महिला की मदद के लिए सामने आए जिससे कोई अनहोनी होने से रह गई। इस गर्भवती महिला का नाम अर्चना सोलंकी बताया जा रहा है। यह घटना मंगलवार को हुई है।
कहा जा रहा है कि गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा के कारण अस्पताल आई थी। लेकिन आरोप है कि आधार कार्ड न होने के कारण डॉक्टर ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया। महिला गरीब है इसलिए उसके पास पैसे भी नहीं थे। इस मामले की जानकारी मिलते ही सामाजिक कार्यकर्ता सामने आए और तुरंत पैसा जमा कर उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
वहीं इस महिला ने निजी अस्पताल में एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया है। लेकिन उसके साथ जिस तरह का बर्ताव ग्रामीण अस्पताल में हुआ वह शर्मनाक है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि गरीब महिला को इलाज के लिए इनकार करने वाले सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों पर कड़ा एक्शन होना चाहिए। फिलहाल महिला और उसका बच्चा स्वस्थ है।