बप्पा के दर पर भक्तों के साथ भेदभाव को लेकर मशहूर गणपति पंडाल की चौतरफा आलोचना हो रही है। लोग पूछ रहे हैं कि लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल में वीआईपी और आम भक्तों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है? जबकि भगवान के सामने सब एक समान है। वीडियो के वायरल होने के बाद आस्था और समानता को लेकर चर्चा छिड़ गई है।
आम भक्तों से बेरूखी और VIP को… वीडियो आया सामने
एक वीडियो में लोग लंबी कतार में खड़े होकर अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे है। वहीँ प्रतिमा के पास पहुंचते ही सिक्यूरिटी वाले उन्हें धक्का देकर हटा देते है। इसमें से कुछ भक्त घंटों लाइन में लगने के बावजूद ठीक से गणपति की मूर्ति को स्पर्श भी नहीं पाते और उन्हें हटा दिया जाता है। दूसरी ओर एक वीआईपी परिवार बिना किसी भीड़ के लालबागचा राजा की प्रतिमा के सामने खड़े होकर आराम से फोटो खींचता है और बिना किसी हड़बड़ी के दर्शन करता है। ये दोनों वाकिये एक दूसरे के ठीक बगल में होते हैं। एक अन्य वीडियो लालबागचा राजा पंडाल में अव्यवस्था का प्रत्यक्ष प्रमाण दे रहा है। जिसमें भक्त बप्पा की एक झलक पाने के लिए पंडाल में घुसने की जद्दोजहद कर रहे हैं। इस भीड़ में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। इसमें एक लड़की रोते हुए भी दिख रही है।
आरपीजी ग्रुप (RPG Group) के चेयरमैन और अरबपति कारोबारी हर्ष गोयनका (Harsh Goenka) ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया और भक्तों के साथ असमान व्यवहार की आलोचना की है। उन्होंने कहा, “लालबागचा राजा में वीआईपी दर्शन क्यों होता हैं?… आम भक्त को अक्सर लंबे इंतजार और भीड़ का सामना करना पड़ता है, जो असमान व्यवहार को उजागर करता है। क्या आस्था सभी के लिए समान नहीं होनी चाहिए?”
एक सोशल मीडिया यूजर ने वीडियो पर टिप्पणी करते हुए कहा, इसे केवल वीआईपी पंडाल घोषित किया जाना चाहिए, आम आदमी चंद सेकंड के दर्शन और इस तरह का व्यवहार पाने के लिए लंबी दूरी से यहां आते हैं… वहीँ, एक अन्य ने कमेंट किया, “लोगों को इस पंडाल में जाना बंद कर देना चाहिए..”
गौरतलब है कि यह साल लालबाग के राजा का 91वां साल है। मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी ने लालबागचा राजा को 15 करोड़ रुपये मूल्य का 20 किलो का सोने का मुकुट अर्पित किया। अनंत अंबानी को लालबागचा राजा समिति का कार्यकारी सलाहकार भी नियुक्त किया गया है। इस साल 10 दिवसीय गणेशोत्सव 7 सितंबर को शुरू हुआ और 17 सितंबर तक मनाया जाएगा।