अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 4 पूर्व मंत्रियों को इस बार महायुति सरकार में मौका नहीं मिला है। इसमें से छगन भुजबल ने मीडिया के सामने खुलकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। वह नागपुर से नासिक चले गए हैं। उन्होंने शीतकालीन सत्र में नहीं जाने का फैसला किया है।
छगन भुजबल ने कहा, “मैं कल येवला-लासलगांव जाऊंगा और लोगों से बात करूंगा। समता परिषद के सभी कार्यकर्ताओं से बात करूंगा और फिर निर्णय लूंगा। मैं अब नागपुर में चल रहे शीतकालीन सत्र में नहीं जाऊंगा।“
खबर है कि नाराज छगन भुजबल ने अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। भुजबल की मौजूदगी में बुधवार 18 दिसंबर को सुबह 11 बजे नासिक में यह बैठक होगी। इसमें प्रदेश भर के समता परिषद के कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल होंगे। तो अब भुजबल क्या फैसला लेंगे? इसको लेकर कई तरह की अटकलें लग रही हैं।
‘छगन भुजबल खत्म नहीं होगा..’
छगन भुजबल की नाराजगी दूर करने के लिए एनसीपी की ओर से कोशिशें जारी हैं। आज दोपहर पत्रकारों से बात करते हुए भुजबल ने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मैं एक साधारण कार्यकर्ता हूं, मुझे हटा दिया जाए या किनारे कर दिया जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे मंत्री पद दिया गया हो या न दिया गया हो, इससे छगन भुजबल खत्म नहीं होगा। छगन भुजबल ने ये भी कहा कि मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल से टकराव का उन्हें इनाम मिला है। इसके बाद भुजबल सत्र छोड़कर अपने निर्वाचन क्षेत्र नासिक रवाना हो गए।
क्यों बढ़ी अजित पवार की टेंशन
गौरतलब हो कि छगन भुजबल एनसीपी के फायरब्रांड नेता माने जाते हैं। उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर भी आक्रामक रुख लिया था और मनोज जरांगे पाटील का खुलकर विरोध किया था। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह राजनीति के बहुत अनुभवी और चतुर रणनीतिकार हैं। इसलिए, यदि वे महायुति के खिलाफ बगावत करने का निर्णय लेते हैं, तो एनसीपी खासकर अजित दादा को व्यक्तिगत नुकसान होगा।