शिवसेना विधायक अयोग्यता मामले में फैसले से पहले स्पीकर राहुल नार्वेकर और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच हुई बैठक पर आपत्ति जताते हुए उद्धव ठाकरे खेमे ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है। उद्धव गुट के नेता सुनील प्रभु ने शीर्ष कोर्ट में अर्जी दायर की की है। जिसमें कहा गया है कि एकनाथ शिंदे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने से सिर्फ तीन दिन पहले स्पीकर का उनसे मिलना “बेहद अनुचित” है।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को नार्वेकर पर निशाना साधते हुए कहा था कि सोमवार को नार्वेकर ने शिंदे से मुलाकात की। जो ‘न्यायाधीश की अपराधी से मुलाकात’ करने जैसा है. पूर्व सीएम ने कहा, “हम उनसे (स्पीकर) किस तरह के न्याय की उम्मीद कर सकते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नार्वेकर 10 जनवरी तक मुख्यमंत्री शिंदे और अन्य शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएंगे। नार्वेकर के निवेदन पर पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों, उद्धव गुट और शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली एक-दूसरे की याचिकाओं पर फैसला करने की समय सीमा 10 जनवरी तक बढ़ा दी थी।
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 14 सितंबर से 20 दिसंबर तक मैराथन सुनवाई की। सुनवाई के दौरान दोनों गुटों के शिवसेना विधायकों ने जोरदार दलीलें दीं। बताया जा रहा है कि करीब 500 पेज के नतीजे तैयार है। इसके चलते बुधवार को साफ हो जाएगा कि शिवसेना के किस गुट के विधायक अयोग्य ठहराए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले साल मई में नार्वेकर को शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाओं पर जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया था। दरअसल जून 2022 में एकनाथ शिंदे की अगुवाई में अधिकांश शिवसेना विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी। जिससे शिवसेना में फूट पद गई, नतीजतन महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई। एमवीए में शिवसेना के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस भी शामिल थीं।
30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। तब शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल रोधी कानूनों के तहत एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए स्पीकर के समक्ष याचिकाएं दायर की गई। इस बीच, चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न दिया, जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को चुनाव चिह्न के रूप में जलती मशाल के साथ शिवसेना (यूबीटी) नाम दिया।