scriptShani Shingnapur: महाराष्ट्र का एक ऐसा गांव जहां घर के मुख्य दरवाजों में नहीं लगाए जाते ताले, जानें इसके पीछे का रहस्य | Shani Shignapur: A village in Maharashtra where locks are not installed in the main doors of the house, know the secret behind it | Patrika News
मुंबई

Shani Shingnapur: महाराष्ट्र का एक ऐसा गांव जहां घर के मुख्य दरवाजों में नहीं लगाए जाते ताले, जानें इसके पीछे का रहस्य

महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर के बारे में मान्‍यता है कि यहां शनिदेव स्‍वयंभू हैं। शनि शिंगणापुर मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है जो अहमदनगर जिले में शिरडी से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर पूरे भारत के स्थानीय लोगों और भक्तों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। इस गांव की कई कहानियां प्रसिद्ध है।

मुंबईAug 06, 2022 / 08:17 pm

Siddharth

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Shani Shingnapur

शनि शिंगणापुर मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शिरडी से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये एक प्रसिद्ध मंदिर है और पूरे भारत के स्थानीय लोगों और भक्तों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। इस मंदिर के अलावा, शिंगणापुर एक छोटा सा गाँव है जो इस बात के लिए भी फेमस है कि पूरे गाँव में किसी भी घर में दरवाजे नहीं हैं और इसके बावजूद इस गांव में चोरी भी नहीं होती। लोगों का कहना है कि शनि देव खुद इसकी रक्षा करते है।
शनि शिंगणापुर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका के एक गांव का नाम है, यह गांव भगवान शनि के अपने लोकप्रिय मंदिर (श्री शनेश्वर देवस्थान शनिशिंगनापुर) के लिए जाना जाता है। शनिदेव के इस मंदिर को सजीव मंदिर माना जाता है। इसका मतलब है कि इस मंदिर के भगवान अभी भी यहां मौजूद हैं। भगवान अभी भी काले पत्थर में रहते हैं। इसकी एक वजह ये भी है ये मंदिर पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध है।
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यहां के देवता स्वयंभू हैं: सायंभु का मतलब है कि कुछ भी चीज खुद से उभरी हुई। ऐसा मानना है कि भगवान शनि स्वयं काले पत्थर के रूप में पृथ्वी से अवतरित हुए थे। शनि भगवान कब काली मूर्ति के रूप में पृथ्वी से प्रकट हुए, इसका सही समय किसी को नहीं पता। लेकिन यह माना जाता है कि कलियुग की शुरुआत के दौरान कुछ चरवाहों को ये काली मूर्ति मिली थी।
गांव जहां घरों में दरवाजे या ताले नहीं लगाए जाते: एकमात्र गांव के रूप में जाना जाता है जहां घरों में दरवाजे और ताले नहीं होते हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि इस गांव में चोरी भी नहीं होती है। यहां तक कि गांव में राष्ट्रीयकृत यूको बैंक की शाखा के भी दरवाजों पर ताले नहीं लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव द्वारा सुरक्षित गांव में चोर चोरी नहीं कर सकता है। अगर कोई भी चोरी करने का प्रयत्न करता है तो उसे दैवीय दंड मिल जाता है। शनि देव खुद इस गांव की रक्षा करते है।
खुले आसमान के नीचे है ये मंदिर: शनि शिंगणापुर मंदिर में शनि देव की मूर्ति खुले आसमान के नीचे है। इसके पीछे भी एक छोटी सी कहानी है। जब शनि देव की ये मूर्ति चरवाहों को मिली, उस रात भगवान शनि एक चरवाहे के सपने में आए और उसे मूर्ति की पूजा करने और पूजा करने के तरीकों के बारे में बताया। इसके बाद चरवाहों ने भगवान शनि से पूछा कि क्या उन्हें मूर्ति के लिए मंदिर बनाना चाहिए। इस पर शनिदेव ने कहा कि छत की कोई जरुरत नहीं है। सारा आकाश मेरी छत है। इसी वजह से भगवान शनि की काली प्रतिमा आज भी खुले आसमान के नीचे है।
बता दें कि पहले महिलाओं को शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगृह में जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन 26 जनवरी 2016 को तिरुपति देसाई के नेतृत्व में 500 से अधिक महिलाओं के एक समूह ने मंदिर तक मार्च किया। वे मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। लेकिन 30 मार्च 2016 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत देने का निर्देश जारी किया।

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