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मुंबई

रायगढ़ भूस्खलन: इरशालवाडी में बचाव अभियान बंद, 29 शव बरामद, लापता माने जाएंगे मृत, 22 बच्चे अनाथ

Irshalwadi Landslide News: राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने एक बयान में कहा, रायगढ़ भूस्खलन बचाव अभियान बंद कर दिया गया। जिला प्रशासन व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा यह निर्णय लिया गया है।

मुंबईJul 23, 2023 / 08:49 pm

Dinesh Dubey

Raigad Irshalwadi Landslide News

इरशालवाडी गांव के 100 से ज्यादा लोग अभी भी लापता

Raigad Landslide Update: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के खालापुर तहसील के इरशालवाडी गांव में हुए भूस्खलन में अब तक 29 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। दर्जनों ग्रामीणों के अभी भी मलबे में दबे होने की आशंका हैं। हालांकि इरशालवाडी में सर्च ऑपरेशन को बंद करने का निर्णय लिया गया है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 22 बच्चे अनाथ हो गए है।
मंत्री उदय सामंत ने बताया कि इरशालवाडी में चल रहा सर्च ऑपरेशन कल से बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस आपदा में लापता लोगों को मृत घोषित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बचाए गए 144 ग्रामीणों का जल्द से जल्द पुनर्वास किया जाएगा।
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राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने एक बयान में कहा, रायगढ़ भूस्खलन बचाव अभियान बंद कर दिया गया। जिला प्रशासन व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा यह निर्णय लिया गया है। लापता और मृतकों का विवरण प्रशासन द्वारा जारी किया जायेगा। इरशालवाडी में रहने वाले 70 से ज्यादा ग्रामीणों के अभी भी लापता होने की खबर है।
बता दें कि मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर तटीय रायगढ़ जिले की खालापुर तहसील में एक पहाड़ी पर स्थित आदिवासी गांव इरशालवाडी में बुधवार रात करीब 11 बजे भूस्खलन हुआ था। भूस्खलन में गांव के लगभग 50 घरों में से 17 तबाह हो गए। साथ ही भारी मात्रा में कीचड़, पत्थर और बड़े-बड़े पेड़ हर जगह फैल गए। दुर्गम इलाका होने के कारण बिना भारी मशीनों के खोज और बचाव अभियान चलाया गया।
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अधिकारियों ने बताया कि इरशालवाडी गांव तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है। लगभग दो किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद इस गांव तक पहुंचा जा सकता है। ऐसे दुर्गम इलाके में लगातार बारिश, कोहरा और तेज हवा ने खोजी दल की परेशानी बढ़ा दी। खराब मौसम और घने अंधेरे के कारण रोज रात में राहत और बचाव कार्य रोकना पड़ रहा था। बचाव अभियान में खोजी कुत्तों को भी शामिल किया गया, लेकिन कई फीट मलबे के नीचे दबे शवों को ढूंढना बेहद मुश्किल हो गया। वहीं घटना को कई दिन बीत जाने के बाद परिसर में दुर्गंध भी फैल गई।
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