मृतक किसान ने आरोप लगाया है कि फसल पर उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। सुसाइड नोट में अन्नदाता ने कहा है कि प्याज और टमाटर की गिरती कीमतों, कोविड-19 और भारी बारिश का संकट और कर्ज चुकाने के लिए फाइनेंस कंपनियों और कर्जदाताओं की झिकझिक ने उन्हें तंग कर दिया है। इस घटना से इलाके में सनसनी फैल गई है।
मृतक किसान दशरथ ने सुसाइड नोट में लिखा “हम भीख नहीं मांगते। हम कई चुनौतियों का सामना करते हुए खेत में विभिन्न फसलें उगाते हैं, यह एक तरह का जुआ है। मैं इस तरह के जीवन से थक गया हूं। इसलिए आज मैं सुसाइड कर रहा हूं।“ आत्महत्या करते हुए उन्होंने मोदी सरकार से मांग की कि हमें हमारे अधिकारों का बाजार मूल्य (उपज के लिए) दिया जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जन्मदिन की बधाई दी।
दशरथ जुन्नार तालुका के वडगांव आनंद गांव के रहने वाले है। उनके पास एक एकड़ खेत और एक दोपहिया वाहन था। उन्होंने ढाई लाख का कर्ज लिया था। इससे मई के महीने में प्याज की फसल काटी गई थी। लेकिन तब रेट करीब 10 रुपये थे। इसलिए उन्होंने प्याज बेचने की जगह भंडारण किया, जिसके लिए भी उन्हें कुछ रकम चुकानी पड़ी। लेकिन रेट नहीं बढ़ा, इस बीच बारिश में आधा प्याज खराब हो गया। इस झटके के बाद वे नहीं टूटे। उन्होंने फिर से उसी खेत में टमाटर और सोयाबीन लगाए।
लेकिन पहली बारिश में टमाटर खराब हो गए, जबकि पिछले हफ्ते हुई बारिश में सोयाबीन की फसल भी हाथ से निकल गई। मुआवजे के लिए सोयाबीन की इन फसलों का पंचनामा कराने दशरथ 17 सितंबर को सरकारी कार्यालय गए थे। दो घंटे वहां बैठे रहने के बाद भी उनके फसल का पंचनामा नहीं हो पाया। जिसके बाद वह दोपहर के करीब पहले जहर खाया और फिर खेत के तालाब में कूदकर आत्महत्या कर ली।