पुणे शहर के पुलिस आयुक्त रितेश कुमार (Retesh Kumaar) ने कहा, “हमने जेजेबी (Juvenile Justice Board) को एक प्रस्ताव भेजा है और उन्हें 90 दिनों के भीतर जवाब देना होगा।”
दिल्ली के निर्भया सामूहिक बलात्कार (Nirbhaya Gang Rape Case) मामले के बाद 2015 में किए गए प्रावधान के अनुसार, “जघन्य अपराधों” के आरोपी होने पर 16-18 वर्ष की आयु के अभियुक्तों पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जा सकता है। नाबालिग अभियुक्त पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने का निर्णय जेजेबी द्वारा लिया जाता है।
पुलिस आयुक्त ने कहा कि कोयता गैंग से संबंधित अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कई निवारक कदम उठाए गए हैं। कई आरोपी बार-बार इस अपराध में शामिल हो रहे है। पुणे शहर की पुलिस ने जेजेबी को जघन्य और गैर-जघन्य अपराधों से संबंधित प्रस्ताव भेजे हैं, जिसमें कहा गया है कि गैर-जघन्य अपराधों में शामिल किशोर गंभीर अपराध कर सकते हैं और समाज के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।
कुमार ने कहा, “अगर हम गंभीर अपराध करने वाले किशोरों (उम्र 16-18) को वयस्कों की तरह ट्रीट करते हैं, तो इससे उन लोगों को कड़ा संदेश जाएगा, जो इस गैरकानूनी रास्ते को चुन सकते हैं।”
डीसीपी (क्राइम) अमोल ज़ेंडे ने कहा कि जेजेबी हमारे प्रस्ताव को बाल अदालत अवलोकन के लिए भेजेगा। हालांकि, जेजेबी के सदस्यों के अनुसार, यह आसान काम नहीं है। यह प्रक्रिया काफी लंबी है। पुलिस यह निर्देश नहीं दे सकती कि जेजेबी को क्या करना है और नहीं करना है।
बता दें कि किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) की धारा-15 के अनुसार, यदि कोई किशोर 16-18 वर्ष के बीच उम्र का है और जघन्य अपराध में शामिल है, और उसकी मूल्यांकन रिपोर्ट में यह पाया जाता है कि उसकी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहित सभी क्षमताएँ विकसित हैं और उसने उद्देश्यपूर्ण ढंग से अपराध किया है, तो आरोपी किशोर पर मंजूरी लेकर वयस्क की तरह मामला चलाया जा सकता हैं।