scriptमुंबई के इस हॉस्पिटल से गायब हो रहे हैं मरीज! 5 साल में 450 से अधिक पेशंट फरार, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान | Patients are disappearing from this hospital in Mumbai! More than 400 patients absconding in 5 years | Patrika News
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मुंबई के इस हॉस्पिटल से गायब हो रहे हैं मरीज! 5 साल में 450 से अधिक पेशंट फरार, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

मुंबई के एक हॉस्पिटल से हैरान कर देने वाली खबर आ रही है। इस हॉस्पिटल से मरीज भाग जा रहे है। इन मरीजों को ज्यादातर समय अलगाव में बिताना पड़ता है, क्योंकि रोग अत्यधिक संक्रामक है। इसलिए कई मरीज अस्पताल से इलाज छोड़कर घर जाना पसंद करते हैं। वहीं, कुछ मरीज ऐसे भी है, जो अकेले होने की वजह से बिना बताए हॉस्पिटल से फरार हो जाते हैं।

मुंबईAug 29, 2022 / 03:00 pm

Siddharth

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TB Patients

मुंबई के एक हॉस्पिटल से हैरान कर देने वाली खबर आ रही है। इस हॉस्पिटल से मरीज भाग जा रहे है। टीबी (Tuberculosis) से बचने के लिए सरकार कितने भी पैसे खर्च करे, अगर मरीज इलाज पूरा नहीं करता, तो कोई मतलब नहीं है। पिछले 5 सालों में जहां 450 से अधिक टीबी के मरीज बीच में ही इलाज छोड़कर हॉस्पिटल से फरार हो गए, वहीं करीब तीन हजार रोगी चिकित्सा सलाह लेकर शिवड़ी टीबी हॉस्पिटल से इलाज छोड़ अपने घर चले गए है। मरीजों के ऐसा करने की मुख्य कारण उनका अकेलापन है।
इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता चेतन कोठारी ने टीबी हॉस्पिटल से आरटीआई द्वारा जानकारी मांगी थी कि पिछले 5 सालों में कितने टीबी मरीज चिकित्सा सलाह के आधार पर इलाज छोड़ भागे हैं और कितने मरीज बीच में ही इलाज छोड़कर हॉस्पिटल से फरार हो गए हैं।
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बता दें कि मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2017 से मार्च 2022 तक कुल 2961 टीबी मरीज हॉस्पिटल में इलाज कराने की बजाय चिकित्सा सलाह के आधार पर घर लौट हैं, जबकि 468 मरीज अपना इलाज बीच में ही छोड़कर फरार हो गए। हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि बीमारी की गंभीरता को देखते हुए एक मरीज को हॉस्पिटल में महीनों रहना पड़ता है।
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मरीज न केवल दवा प्रतिरोधी टीबी विकसित करने का जोखिम उठाते हैं, बल्कि अपने परिवार वालों और अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। जब मरीज घर जाने की जिद्द करते हैं, तो हम उनकी काउंसलिंग करते हैं, लेकिन रिश्तेदारों और परिजन से एक अनोखा अटूट रिश्ता होने की वजह से वे अपनी जिद नहीं छोड़ते हैं और चिकित्सा सलाह लेकर घर चले जाते हैं। हॉस्पिटल में इलाज कराने की जगह डामा (डिस्चार्ज अगेंस्ट मेडिकल एडवाइज) लेकर घर जाने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
साल 2017 से 2018 तक 461 मरीजों ने डामा लिया था। साल 2018-19 में यह संख्या बढ़कर 853 तक पहुंच गई। साल 2019-20 और साल 2020-21 में मरीजों की संख्या में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन पिछले एक साल में ये संख्या फिर से बढ़ गई। 2021-22 में डामा लेने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 538 तक पहुंच गई है।
बता दें कि डामा लेने वालों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है। साल 2017 से 2022 तक 2961 मरीज ने हॉस्पिटल से डामा लिया है। डामा के अधिकतर रोगी पुरुष (63%) हैं। पिछले पांच सालों में 1873 पुरुष रोगी और 1088 महिलाओं ने अस्पताल से डामा लिया है। साल 2017-18 कुल ४६१ मरीजों ने डामा लिया, जिसमें 277 पुरुष और 184 महिलाएं शामिल है। वहीं, 2018-19 में कुल 853 मरीजों ने डामा लिया, जिसमें पुरुषों की संख्या 512 और महिलाओं की संख्या 341 है।
साल 2019-20 की बात करें तो कुल 638 मरीजों ने डामा लिया। जिसमें 383 पुरुष और 255 महिला है। साल 2020-21 में आंकड़ों में थोड़ी गिरावट दर्ज हुई। कुल 471 मरीजों ने डामा लिया, जिसमें 330 पुरुष और 141 महिलाएं शामिल है। वहीं, पिछले एक साल में यानी साल 2021-22 में कुल 538 मरीजों ने डामा लिया, जिसमें पुरुषों की संख्या 377 और महिलाओं की संख्या 161 है।

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