शेतकारी संगठन (Shetkari Sanghatna) के नासिक जिलाध्यक्ष अर्जुन बोराडे (Arjun Borade) ने कहा “जहां प्याज उत्पादन की लागत लगभग 1,800 रुपये प्रति क्विंटल है, वहीं किसान औसतन 1,100 रुपये प्रति क्विंटल पर इसे बाजार में बेचने के लिए मजबूर हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इसलिए शेतकारी संगठन द्वारा धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा “प्याज निर्यात पर केंद्र की लगातार बदलती नीति के कारण हम अंतरराष्ट्रीय बाजारों को खो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों को भरोसा नहीं है कि उन्होंने जो ऑर्डर दिया है वह भारत से डिलीवर होगा या नहीं।“
बोराडे ने दावा किया कि केंद्र प्याज की कमी की संभावना को देखते हुए थोक प्याज की कीमतों को स्थिर करने के लिए बफर स्टॉक बनाती है। जिसके लिए वह प्याज अपनी केंद्रीय एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के माध्यम से मूल्य स्थिरता कोष के तहत खरीदती है। जो कि किसानों के हित के खिलाफ है।
गौरतलब है कि देश में जब भी थोक प्याज की कीमतें (Wholesale Onion Price) बढ़ने लगती हैं, तो केंद्र डिमांड और सप्लाई को बैलेंस करने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा देती है। ऐसे में प्याज की थोक कीमतों में गिरावट से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए किसान चाहते हैं कि केंद्र भविष्य में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से परहेज करे।