मुंबई के सभी 24 वॉर्डों में यह कार्रवाई शुरू की गई है। इस मामले में बीएमसी के उपायुक्त संजोग कबरे ने बताया कि मुंबई में करीब 4.5 लाख से ज्यादा दुकानें हैं। इनमें से करीब 50 फीसदी दुकानों पर ही मराठी में साइनबोर्ड हैं। मराठी बोर्ड न लगाने वाली दुकानों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए हर वॉर्ड में टीम बनाई गई है। इसमें 75 इंस्पेक्टर भी शामिल हैं। उनके साथ एक अन्य अधिकारी भी रखा गया है।
संजोग कबरे ने आगे बताया कि जांच के दौरान मराठी बोर्ड लगाने या जुर्माना देने से मना करने वाले दुकानदार के खिलाफ कोर्ट की कार्रवाई की जाएगी। दुकान में काम करने वाले हर शख्स के हिसाब से 2000 रुपये का जुर्माना वसूल किया जा रहा है।
बता दें कि तत्कालीन एमवीए सरकार ने इस साल जनवरी में महाराष्ट्र में सभी दुकानों पर 31 मई तक मराठी बोर्ड लगाना जरूरी किया था। मुंबई के व्यापारियों ने मराठी साइन बोर्ड लगाने के लिए और समय देने के लिए सरकार और बीएमसी कमिश्नर को चिठ्ठी लिखी थी। व्यापारियों की मांग थी कि उन्हें मराठी बोर्ड लगाने के लिए सितंबर तक का समय दिया जाए। बारिश के दौरान इसके लिए उनपर दबाव न डाला जाए। जिसके बाद बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त आशीष शर्मा के नेतृत्व में अधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें 30 सितंबर तक का समय देने का फैसला किया गया था।
इस साल मार्च में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने फैसला किया था कि महाराष्ट्र की सभी दुकानों को देवनागरी लिपि में मराठी साइनबोर्ड प्रदर्शित करना होगा। अगर बोर्ड एक से अधिक भाषाओं में नाम प्रदर्शित करते हैं, तो मराठी फॉन्ट अन्य लिपियों से छोटा नहीं होना चाहिए।
ऐसे कार्रवाई करेगी बीएमसी: मराठी बोर्ड न लगाने वाले दुकानदारों को सात दिन का अंतिम नोटिस दिया जा रहा है। नोटिस के बाद भी मराठी बोर्ड न लगाने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
दुकान में काम करने वाले हर शख्स के हिसाब से 2000 रुपये जुर्माना लगेगा। जुर्माना न देने वाले दुकानदार के खिलाफ होगी कोर्ट की कार्रवाई। उसके बाद यदि दुकानदार जुर्माना भरने को तैयार होगा तो बीएमसी कोर्ट से मामला वापस ले लेगी।