दस पाकिस्तानी आतंकी 26 नवंबर 2008 को समुद्री रास्ते से दक्षिण मुंबई में घुसे थे और उन्होंने ताज होटल, चाबड हाउस सहित कई स्थानों पर हमला किया था। इन हमलों में छह यहूदियों और 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे। इस हमले के बाद शहर की समुद्री सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठा। लेकिन मुंबई पर आतंकी हमले के पंद्रह साल बाद भी समुद्री सुरक्षा की स्थिति चौंकाने वाली है। इसका मुख्य कारण मुंबई की 114 किमी लंबी तटरेखा की सुरक्षा के लिए तटों पर 24 घंटे गश्त करने के लिए पर्याप्त जनशक्ति की कमी है।
जानकारी के मुताबिक, पुलिस के पोर्ट सर्कल और मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग में 2,306 स्वीकृत पदों के बावजूद केवल 682 पुलिसकर्मी काम कर रहे हैं। यह समुद्री सुरक्षा में ढिलाई का सबसे बड़ा सबूत है।
दरअसल मुंबई आतंकी हमले के बाद शहर की तटीय सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए गए। स्पीड बोट खरीदी, लेकिन 23 नावों में से केवल आठ ही अब अच्छी स्थिति में हैं। पोर्ट सर्कल के अंतर्गत येलो गेट, वडाला, शिवडी, सागरी-1 और सागरी-2 पांच पुलिस स्टेशन हैं।
इन पुलिस स्टेशनों के लिए 235 अधिकारियों और 1607 कर्मचारियों के कुल 1842 पद स्वीकृत किए गए हैं। लेकिन यहां आधे से भी कम यानी 518 पुलिसकर्मी कार्यरत हैं। इसमें 83 अधिकारी और 435 कर्मचारी शामिल हैं। इतनी कम संख्या में विशाल समुद्र तट पर 24 घंटे गश्त करना असंभव सा काम है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में नई भर्तियां नहीं हुई है।
मुंबई हमलों के बाद गठित एक सुरक्षा समिति ने मुंबई के समुद्र तटों पर लगभग 109 लैंडिंग पॉइंट (समुद्र से जमीन पर पहुंचने का स्थान) में से आठ संवेदनशील एंट्री पॉइंट की पहचान की। इसमें बधवार पार्क, गीता नगर, गणेश मूर्ति नगर, बांद्रा-वर्ली सी लिंक जेट्टी, जुहू चौपाटी, गोराई, मनोरी और वर्सोवा बीच शामिल हैं।
मुंबई तट पर लैंडिंग प्वाइंट की निगरानी के लिए महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्स की भी तैनाती की गयी है। ड्रोन के माध्यम से भेद्य क्षेत्रों की निगरानी पर विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बोट चलाने के साथ-साथ अन्य तकनीकी कार्यों के लिए मोटर परिवहन विभाग द्वारा जनशक्ति उपलब्ध करायी जाती है। इस विभाग में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कुल 464 पद स्वीकृत हैं। हालाँकि, वर्तमान में केवल 164 पदों पर अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें 30 अधिकारी और बाकी कर्मचारी शामिल हैं।