वहीं इस पूरे गांव में कहीं भी एक मच्छर देखने को नहीं मिलेगा। लोगों का कहना हैं कि अगर यहां किसी ने मच्छर पकड़ कर दिखा दिया, तो यहां के सरपंच उसे 400 रुपये का ईनाम देंगे। बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि आज ये गांव जैसा है पहले वैसा नहीं होता था। दरअसल 80-90 के दशक में इस गांव के लोगों को भयंकर सूखे का सामना करना पड़ा था। हालात इतने खराब हो गए थे कि इस गांव में पीने के लिए पानी तक नहीं था। लोग गांव से पलायन करने लगे थे।
बता दें कि इसी बीच गांव में बचे कुछ लोगों ने गांव की समस्याओं को खत्म करने का पूरा मन बना लिया। जिसके बाद साल 1990 में ‘ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट कमेटी’ बनाई गई। जिसके तहत गांव में कुंए खोदने और पेड़ लगाने का काम श्रमदान के माध्यम से शुरू किया गया। इसके बाद सरकार की योजना और आलू-प्याज की खेती यहां लोगों की इनकम का श्रोत बन गया। जिससे गांव में खुशहाली वापस आ गई।
वहीं गांव वालों की मेहनत देखकर राज्य सरकार भी इन्हें फंड देना शुरू कर दिया। साल 1994-95 में सरकार ने ‘आदर्श ग्राम योजना’ शुरू की, जिसने इस कार्य को और तेजी दे दी। आज इस गांव में लगभग 340 कुंए हैं और पानी के स्तर में भी काफी वृद्धि हुई है। लोगों को जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में रहने वाले करीब 305 घरों में से लगभग 80 परिवार करोड़पति के वर्ग में आते हैं। जिनकी सालाना इनकम करीब 10 लाख रुपयों से अधिक है। वहीं इस गांव में केवल 3 ऐसे परिवार हैं। जिनकी सालाना इनकम 10 हजार से भी कम है।