Maharashtra: मराठा नेता मनोज जरांगे ने नरम किये तेवर, सरकार को दिया 30 दिन का समय, रखीं ये शर्तें
आरक्षण मुद्दे को सुलझाने के लिए जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को एक महीने का समय दिया है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री बुधवार को ही जालना जाकर जरांगे से मिलने वाले थे, सारा कार्यक्रम तय था, लेकिन वह किसी वजह से मराठा आंदोलन के नेता से मिलने अंतरवाली सराटी गांव नहीं जा सके।इसलिए सरकार को दिया समय
बता दें कि मनोज जरांगे पूरे महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा हैं। वह सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे है। जरांगे ने कहा था, “…जब तक हमे आरक्षण का प्रमाण नहीं मिल जाता हम रुकेंगे नहीं। सड़क जाम करने से आरक्षण नहीं मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि आरक्षण की प्रक्रिया में समय लगेगा। इसलिए सरकार को एक महीने का समय दिया है। किसान आठ महीने तक दिल्ली में बैठे रहे.. इसलिए हम सरकार को एक महीने का समय देंगे। हमारी लड़ाई अब अंतिम चरण में है। हम भले ही सरकार को समय दे रहे हैं, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं होगा।”
Maratha Reservation: ओबीसी समुदाय ने चेतावनी दी है कि मराठा समुदाय को कुनबी होने का प्रमाणपत्र दिया तो…
रिपोर्ट्स की मानें तो मराठवाडा में निज़ाम के शासन काल के दौरान मराठा समुदाय को मराठा कुनबी या कुनबी मराठा के रूप में दर्ज किया गया है। इसलिए जरांगे की मांग है कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए। महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में 8550 गांव आते हैं। मराठवाडा के अब तक आठ जिलों के लगभग 80 गांवों में मराठों के कुनबी होने के प्रमाण मिल चुके हैं।ओबीसी समुदाय कर रहा विरोध
दूसरी ओर, ओबीसी समुदाय मराठा समुदाय को ओबीसी के कोटे में आरक्षण देने का विरोध कर रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री शिंदे ने स्पष्ट कहा कि ओबीसी आरक्षण को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण किसी अन्य समुदाय के आरक्षण को कम किए बिना दिया जाएगा। ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा, जिससे दो समुदायों के बीच विवाद पैदा हो। इसलिए ओबीसी समुदाय को विरोध करने की आवश्यकता नहीं।