कहा जा रहा है कि इन्हें अयोग्य उम्मीदवारों को दलालों के जरिए काला बाजारी कर बेच दिया गया है। वहीं इसको लेकर एमएनसी की भी नींद उड़ चुकी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार सालों में बिना किसी डाक्यूमेंट्स प्रूफ के करीब 37000 नए सहायक नर्सों के रजिस्ट्रेशन आवेदन हुए हैं।
बता दें कि राज्य सरकार की ऑडिट रिपोर्ट में साल 2018-2021 के बीच के आंकड़ों को लेकर चौंका देने वाली खबर सामने आई है। इससे महाराष्ट्र नर्सिंग काउंसिल (एमएनसी) की प्रणालियों और प्रथाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं। साल 2018 और 2019 के जो रिकॉर्ड लेखा परीक्षकों को मिले हैं उसके मुताबिक जारी किए जाने वाले सर्टिफिकेट भेजे ही नहीं गए थे। वहीं कुछ मामलों में रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि परिषद के माध्यम से 312 लाइसेंस जारी किए गए थे। लेकिन इनमें से सिर्फ और सिर्फ 12 ही भेजे गए थे।
वहीं ऑडिट टीम ने पाया कि मल्टीनेशनल कंपनी के अभिलेखों में यह नहीं बताया गया था कि उसने किसे डॉक्यूमेंट जारी किए थे। रिपोर्ट की माने तो ज्यादातर बेहिसाब सर्टिफिकेट पैसा कमाने के इरादे से कालाबाजारी के लिए लाए गए थे।
कैसै हो रहा खुलासा: ऑडिट टीम के मुताबिक आंकड़ों को लेकर जब जांच की गई तो अनगिनत खामियां नजर आई। 10 विसंगतियों की सूची तैयार की गई है। जिनमें से एक में जून 2018 में वापस जाने वाले रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नंबर 57901 से 59892 है। इसके साथ ही कुल 1992 सर्टिफिकेट को जारी किया गया था। लेकिन महज 1,009 रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को ही कोरियर किया गया था। इसी तरह जब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नंबर 76492 से 76803 की जांच की गई तो कुल 312 सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। जब कि जांच में पाया गया कि इनमें से केवल 12 को ही भेजा गया था।