मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में अब पीड़िता के शव की दोबारा ऑटोप्सी करवाने का आदेश दिया गया है। इस मामले में पीड़िता के घरवालों ने जब डॉक्टर से पूछताछ की तब उसने कहा था कि पुलिस की तरफ से यह दबाव था कि सामूहिक बलात्कार की बात को न बताया जाए। पीड़िता के अंकल रुषा खड़कया के मुताबिक यह खबर प्रकाशित होने के बाद स्थनीय सांसद हिना गावित भी हरकत में आई।
जिसके बाद नंदुरबार डीएसपी समेत दस पुलिसकर्मी भी नमक के गड्ढे के पास पहुंचे जिससे लाश को गड्ढे से बाहर निकालकर दूसरी ऑटोप्सी के लिए मुंबई भेजा जाए। पुलिस ने पीड़िता के घरवालों को बताया कि लाश को मुंबई में दूसरी बार जांच के लिए भेजा जा रहा है। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद लाश को बाहर निकाला गया। वहीं, बुधवार की शाम के 7:30 बजे शव को नमक के गड्ढे से बाहर निकाला गया। इस दौरान तमाम ग्रामीणों के अलावा पीड़ित परिवार भी मौजूद था।
इस मामले में पीड़ित पिता शुरू से यह कह रहे थे कि उनकी बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया है। जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई। मैंने बेटी के शव को इसलिए नहीं जलाया क्योंकि मुझे लगता था कि शव की दोबारा जांच हो सकती है। मेरी बेटी कभी सुसाइड नहीं किया बल्कि रेप के बाद उसे मारकर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। ताकि हत्या को आत्महत्या घोषित किया जा सके।
परिवार की शिकायत के मुताबिक पीड़िता को रंजीत ठाकरे नाम का एक शख्स और उसका दोस्त बाइक पर बैठाकर गांव से 20- 30 किलोमीटर दूर ले गया था। जहां उसके साथ ठाकरे और उसके दोस्त के अलावा अन्य दो लोगों महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया। इस दौरान महिला ने मोबाइल फोन के जरिए मदद भी मांगी थी। महिला ने फ़ोन पर बताया था कि उसकी जान को खतरा है।