मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से अकेले बीजेपी 32 पर चुनाव लड़ेगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला शिवसेना खेमा 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा। जबकि डिप्टी सीएम अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सबसे कम दो से तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इसकी औपचारिक घोषणा जल्द हो सकती है।
अमित शाह का ‘यूनिक फ़ॉर्मूला’
दिलचस्प बात यह है कि बाकि बची 4 सीटों पर भी शिवसेना और एनसीपी के ही उम्मीदवार चुनाव लड़ सकते है। लेकिन उन्हें कमल के निशान पर चुनाव लड़ाया जा सकता है। ऐसी अटकलें पहले से ही थीं कि बीजेपी अपने सहयोगियों को ज्यादा सीटें दे सकती है, लेकिन शर्त यह होगी कि वे कमल के निशान पर चुनाव लड़ें।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझाने के लिए अमित शाह ने देर रात मुंबई के ‘सह्याद्री’ गेस्ट हाउस में बड़ी बैठक की। इसमें एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार समेत तीनों दलों के बड़े नेता शामिल हुए। अमित शाह ने सीटें मांगते समय आक्रामक न होने और तर्कसंगत मांग करने की सलाह दी।
विजय की क्षमता होगी तो मिलेगी सीट…
सूत्रों ने बताया कि पहले अमित शाह ने फडणवीस और अजित दादा से ‘सह्याद्री’ में आधे घंटे तक चर्चा की। फिर दोनों नेताओं के जाने के बाद शाह ने शिंदे और बीजेपी मुंबई के अध्यक्ष आशीष शेलार के साथ करीब 45 मिनट तक बैठक की। इन बैठकों में ज्यादातर सीटों पर सहमति बन गई और साथ ही तय किया गया कि सभी को सीटें जीतने की क्षमता के आधार पर मिलेंगी।
आज भी बैठक
महायुति के सीट बंटवारे को लेकर मुंबई में अमित शाह की अभी भी बैठक चल रही है। अमित शाह एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ बैठक कर रहे हैं। बाद में शाह ने एनसीपी नेता अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे से अलग से चर्चा की। इसके बाद फडणवीस भी इस बैठक में शामिल हुए।
बीजेपी की नो-रिस्क पॉलिसी
गौरतलब हो कि बीजेपी ने महाराष्ट्र की 45 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। बीजेपी देशभर में ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे के साथ लोकसभा चुनाव लड़ रही है। इसलिए बीजेपी नो-रिस्क पॉलिसी पर सीट बंटवारें पर फैसला ले रही है। सहयोगी दलों के उम्मीदवारों की जीत की संभावना जहां काफी ज्यादा है, वहां उन्हें प्रत्याशी उतारने का मौका दिया जा रहा है।
2019 में कैसे थे नतीजे?
पिछले लोकसभा चुनाव में शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर 23 सीटो पर चुनाव लड़ा था। तब शिवसेना ने 18 सीट पर जीत हासिल की थी। जबकि बीजेपी ने 25 पर उम्मीदवार उतारे, जिनमें 23 पर कामयाबी मिलीं। तब राज्य में बीजेपी को करीब 28 फीसदी, शिवसेना को 23 फीसदी, एनसीपी को 16 फीसदी वोट मिले थे।
लेकिन इस बार शिवसेना और एनसीपी दोनों दल दो धड़ों में बंट चुके है और उनका एक-एक गुट अधिकांश विधायकों के साथ बीजेपी के साथ खड़ा है। दोनों दलों के विभाजन के बाद बदले समीकरण के कारण सीटों का बंटवारा मुश्किल हो गया।