रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंत्रियों के निजी सचिवों, पीए और विशेष कार्यकारी अधिकारियों (OSD) और अन्य स्टाफ की नियुक्ति मुख्यमंत्री फडणवीस के कार्यालय से नाम पर मुहर के बाद ही होगी। यानी बीजेपी के साथ-साथ शिवसेना और एनसीपी के मंत्रियों को भी अपने स्टाफ की नियुक्ति में मुख्यमंत्री की इजाजत लेनी होगी।
बता दें कि 2014 में जब बीजेपी और शिवसेना (अविभाजित) की गठबंधन सरकार बनी थी तो तत्कालीन सीएम फडणवीस ने मंत्रियों के स्टाफ की नियुक्ति के लिए यही तरीका अपनाया था। 2014 में फडणवीस पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। अब भी यही तरीका अपनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने मंत्रालय में विवादास्पद अधिकारियों की नियुक्ति रोकने के लिए यह फैसला लिया है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद 15 दिसंबर को महायुति के 39 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इनमें बीजेपी के 19, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के 11 और एनसीपी (अजित पवार) के 9 मंत्री शामिल थे।
किसे मिला कौन सा मंत्रालय?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गृह, ऊर्जा और कानून विभाग अपने पास रखा है। अजित पवार को वित्त विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, एकनाथ शिंदे को शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग सौंपा गया है। जबकि बीजेपी के राज्य प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले को राजस्व, उदय सामंत को उद्योग, चंद्रकांत पाटिल को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, गणेश नाइक को वन, पंकजा मुंडे को पर्यावरण, हसन मुश्रिफ को मेडिकल एजुकेशन, गुलाबराव पाटिल को पानी आपूर्ति, राधा कृष्ण विखे पाटिल को जलसंपदा, दादा भुसे को स्कूल शिक्षा, अशोल विखे को आदिवासी विकास, प्रताप सरनाईक को परिवहन, धनंजय मुंडे को खाद्य आपूर्ति, अतुल सावे को ओबीसी विकास, संजय शिरसाट को सामाजिक न्याय और भरत गोगवाले को रोजगार विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। गौरतलब हो कि बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के महायुति गठबंधन ने राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 236 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार) के महाविकास अघाडी (MVA) गठबंधन सिर्फ 49 सीटों पर जीत हासिल का सकी।