35 प्रतिशत ही हुआ उत्पादन
कोकण में 1.80.000 हेक्टर जमीन पर हापुस आम के पेड़ हैं। लंबे समय तक बरसात और अधिक ठंड के कारण आम के पेड़ों में बौर देर से आए। किसानों ने बताया आम के पेड़ों पर थ्रिप्स कीड़ों के लगने से उत्पादन 35 प्रतिशत तक ही हुआ । बौर देर से आने के कारण हापुस आम बाजारों में देरी से पहुंचेगी। हर वर्ष फरवरी तक आम सप्लाई के लिए तैयार रहते है इस बार अप्रेल के अंतिम सप्ताह में बड़ी खेप बाजार में आ जाएगी। किसानों के लिए मुंबई में 18 सालों से आम्बा महोत्सव का आयोजन करने वाली संस्था कोकण विकास प्रतिष्ठान के सचिव राजेंद्र तावड़े ने कहा कि कोरोना के कारण हापुस आम का निर्यात नहीं होगा और बाजार में सोशल डिस्टेंसिंग के कारण बेचना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि मौसम परिवर्तन के कारण कोकण में हापुस आम का उत्पादन लगातार घट रहा है।
मुंबई व देशभर में हापूस आम की बिक्री पिछले साल 360 करोड़ रूपये की हुई जबकि हापुस आम का निर्यात 100 करोड़ रूपये प्रति वर्ष है। इस बार निर्यात नहीं होने से आम उत्पादक किसानों को काफी नुकसान होगा। वैसे तो बाजार में हापुस आम फरवरी महीने ही पहुंच गया था जो सबसे उच्चतम दामों में बिका। आमतौर पर मार्च महीने में हापुस आम का बाजार में आना शुरू होता है जो मई के अंत तक रहता है।
सप्लाई के लिए बॉक्स नहीं
हापुस आम की शुरूआती कीमत 1200 रूपये दर्जन होती है जो मई महीने तक 400 रूपये दर्जन तक पहुंच जाती है। तावड़े ने बताया कि मुंबई की कई सोसायटियों ने किसानों से आम लेने की पहल की हैं मगर लॉकडाऊन के कारण पैकिंग के बॉक्स नहीं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का मुसीबत हापुस आम उत्पादकों को अगले साल तक प्रभावित करेगा क्यों कि इनका पूरा बजट आम पर ही आधारित है।
2016 में -3.20.000 मेट्रिक टन
2017 में 2.56.000
2018 में 1.28.000 मेट्रिक टन