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मुंबई

कांग्रेस MLA सुनील केदार को झटका, 150 करोड़ के बैंक घोटाले में 5 साल की सजा, 21 साल बाद आया फैसला

Sunil Kedar Case: इस मामले में जांच पूरी होने के बाद 22 नवंबर 2002 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई थी।

मुंबईDec 22, 2023 / 03:45 pm

Dinesh Dubey

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सोनिया गांधी के साथ सुनील केदार

Nagpur District Bank Fraud: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता सुनील केदार के बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित नागपुर जिला बैंक घोटाला मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है। नागपुर की विशेष अदालत ने कांग्रेस विधायक सुनील केदार और पांच अन्य को दोषी ठहराया गया है। जबकि सबूतों के अभाव में तीन अन्य को बरी कर दिया है। इस मामले में केदार को 5 साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही 12.50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा है।
नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एनडीसीसीबी) घोटाला मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने शुक्रवार को सावनेर से कांग्रेस विधायक सुनील केदार को 150 करोड़ रुपये के घोटाले में दोषी ठहराया है। घोटाले के अन्य आरोपियों को भी सजा सुनाई गई है।
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ज्योति पेखले-पुरकर की अदालत में दोषियों को सजा सुनाई गई। आज सुनवाई के दौरान केदार के अलावा अन्य आरोपी भी अदालत में मौजूद थे। अदालत कक्ष खचाखच भरा रहा।

जांच एजेंसी की चार्जशीट में केदार और 11 अन्य आरोपियों पर आईपीसी की धारा 406, 409, 468, 471, 120-बी और 34 के तहत आरोप लगाए गए थे। आरोपियों में बैंक के पूर्व महाप्रबंधक अशोक चौधरी, तत्कालीन मुख्य अकाउंटेंट सुरेश पेशकर, महेंद्र अग्रवाल, श्रीप्रकाश पोद्दार, सुबोध भंडारी, कानन मेवावाला, नंदकिशोर त्रिवेदी, अमित वर्मा और मुंबई के स्टॉकब्रोकर केतन सेठ शामिल हैं। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रवाल के मामले पर रोक लगाई थी, जबकि मेवावाला फरार है।
महाविकास अघाडी (एमवीए) सरकार में मंत्री रहे सुनील केदार से जुड़े इस मामले में दो दशक से अधिक समय बाद फैसला आया है। 2002 में जब 150 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था तब कांग्रेस नेता बैंक के अध्यक्ष थे। सीआईडी के तत्कालीन उपाधीक्षक किशोर बेले इस घोटाले के जांच अधिकारी हैं। जांच पूरी कर उन्होंने 22 नवंबर 2002 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। तभी से विभिन्न कारणों से सुनवाई पूरी नहीं हो सकी और मामला लंबित था।

रद्द होगी विधायकी?

कोर्ट के फैसले के बाद अब कांग्रेस नेता की विधानसभा सदस्यता पर तलवार लटक रही है। दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में दो साल से अधिक सजा हुई हो तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी। इसके अलावा सजा की अवधि पूरी होने के बाद छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाएंगे और चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

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