फ्लोर टेस्ट में सफल होने के बाद विधानसभा में बोलते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा, “मैं देवेंद्र फडणवीस जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे पिछली सरकार में मंत्री के रूप में काम करने का मौका दिया. मैं समृद्धि महामार्ग परियोजना पर काम कर सका। उन्हें 2019 में शिवसेना को भी डिप्टी सीएम का पद देना था।”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा, “हम शिवसैनिक हैं और हम हमेशा बालासाहेब और आनंद दिघे के शिवसैनिक रहेंगे। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि वह कौन था और किसने बालासाहेब के मतदान पर छह साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।”
शिंदे ने कहा “शुरुआत में मुझे एमवीए सरकार में मुख्यमंत्री बनाया जाना था. लेकिन बाद में अजित दादा (अजित पवार) या किसी ने इसका विरोध किया। मुझे कोई समस्या नहीं थी और मैंने उद्धव जी से कहा कि आप आगे बढ़ो, और मैं उनके साथ था। मैंने उस पोस्ट पर कभी नजर नहीं डाली थी।“
इस दौरान शिंदे ने भावुक होकर अपने उन दो बच्चों का जिक्र किया जो एक हादसे में जिंदा नहीं बच सके थे। इस दौरान बगल में बैठे डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस उन्हें हिम्मत दिलाते दिखे।
मुख्यमंत्री ने कहा “उन्होंने मेरे परिवार पर हमला किया. मेरे पिता जीवित हैं, मेरी मां की मृत्यु हो चुकी है। मैं अपने माता-पिता को ज्यादा समय नहीं दे सका। जब मैं आता तो वे सो जाते और जब मैं सो जाता तो काम पर चले जाते। मैं मेरे बेटे श्रीकांत को ज्यादा समय नहीं दे पाता था। मेरे दो बच्चों की मृत्यु हो गई थी, उस समय आनंद दिघे साहब ने मुझे सांत्वना दी। उन्होंने मुझे राजनीति में बने रहने के लिए राजी किया। मैं सोचता था, जीने के लिए अब क्या रह गया है? मैं अपने परिवार के साथ रहूंगा।”
बता दें कि एकनाथ शिंदे के दो बच्चे सतारा में उनकी आंखों के सामने डूब गए थे। बच्चों की मौत के बाद शिंदे एकदम टूट गए थे, वें सार्वजनिक जीवन के साथ ही राजनीति से भी बाहर चले गए थे। लेकिन उन्होंने अपने राजनीति गुरू आनंद दिघे की बात मानकर फिर से नई शुरुआत की और शिवसेना को मजबूत करने के काम में जुट गए। 58 वर्षीय शिंदे सतारा के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने खुद को मुंबई से लगे ठाणे-पालघर क्षेत्र में शिवसेना के एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। शिवसेना के खिलाफ उनका विद्रोह 21 जून की सुबह सबके सामने आया था।